"गुरु गोबिन्द सिंह": अवतरणों में अंतर

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सिख समुदाय के एक सभा में उन्होंने सबके सामने पुछा – "कौन अपने सर का बलिदान देना चाहता है"? उसी समय एक स्वयंसेवक इस बात के लिए राज़ी हो गया और गुरु गोबिंद सिंह उसे तम्बू में ले गए और कुछ देर बाद वापस लौटे एक खून लगे हुए तलवार के साथ। गुरु ने दोबारा उस भीड़ के लोगों से वही सवाल दोबारा पुछा और उसी प्रकार एक और व्यक्ति राज़ी हुआ और उनके साथ गया पर वे तम्बू से जब बहार निकले तो खून से सना तलवार उनके हाथ में था। उसी प्रकार पांचवा स्वयंसेवक जब उनके साथ तम्बू के भीतर गया, कुछ देर बाद गुरु गोबिंद सिंह सभी जीवित सेवकों के साथ वापस लौटे और उन्होंने उन्हें पंज प्यारे या पहले खालसा का नाम दिया।
 
उसके बाद गुरु गोबिंद जी ने एक लोहे का कटोरा लिया और उसमें पानी और चीनी मिला कर दुधारी तलवार से घोल कर अमृत का नाम दिया। पहले 5 खालसा के बनाने के बाद उन्हें छठवां खालसा का नाम दिया गया जिसके बाद उनका नाम गुरु गोबिंद राय से गुरु गोबिंद सिंह रख दिया गया। उन्होंने पांच '''क'''कारों का महत्व खालसा के लिए समझाया और कहा – केश, कंघा, कड़ा, किरपान, कच्चेरा।<ref>{{cite web|url=http://www.1hindi.com/%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%81-%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6-%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%B9-guru-gobind-singh-ji-biography-history-in-hindi/|title=''गुरु गोबिंद सिंह जी की जीवनी हिंदी में - खालसा/Khalsa की स्थापना ''|publisher=1HINDI|accessdate=2006-11-07}}</ref>
 
इधर 27 दिसम्बर सन्‌ 1704 को दोनों छोटे साहिबजादे और जोरावतसिंह व फतेहसिंहजी को दीवारों में चुनवा दिया गया। जब यह हाल गुरुजी को पता चला तो उन्होंने औरंगजेब को एक जफरनामा (विजय की चिट्ठी) लिखा, जिसमें उन्होंने औरगंजेब को चेतावनी दी कि तेरा साम्राज्य नष्ट करने के लिए खालसा पंथ तैयार हो गया है।
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[[सिखों के दस गुरू]] हैं।
 
एक हत्यारे से युद्ध करते समय गुरु गोबिंद सिंह जी के छाती में दिल के ऊपर एक गहरी चोट लग गयी थी। जिसके कारण 18 अक्टूबर, 1708 को 42 वर्ष की आयु में [[नान्देड]] में उनकी मृत्यु हो गयी। <ref>{{cite web|url=http://www.1hindi.com/%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%81-%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6-%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%B9-guru-gobind-singh-ji-biography-history-in-hindi/|title=''गुरु गोबिंद सिंह जी की जीवनी - गुरु गोबिंद सिंह जी की मृत्यु कब हुई थी?''|publisher=WWW.1HINDI.COM|accessdate=2006-11-07}}</ref>
 
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