"बीना": अवतरणों में अंतर

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- संकलित लेख
 
#एरण बीना मध्यप्रदेश का ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल है ! यह म.प्र. के सागर जिले की बीना तहसील में बीना नदी से लगा हुआ समृद्ध नगर था ! वर्तमान नाम एरन जो अब गांव के रुप में है ! यह बीना जंक्शन से 25 कि.मी. और सागर से 90 कि.मी. दूरी पर है ! एरण नाम रखे जाने का एक कारण बीना नदी और बेतवा नदी के संगम पर अत्याधिक मात्रा में उगने वाली "एराका" नामक घास के कारण रखा गया ! यह घास प्रदाह प्रशामक तथा मंदक गुणधर्म वाली होती है !
एक अन्य कारण ऐरणएरण से प्राप्त सिक्कों पर नाग चित्र हैं ! अत: इस स्थान का नामकरण "एरिका" अर्थात नाग से हुआ ! प्राचीन काल में ऐरण पर नागवंश के शासकों का अधिकार था !
एरण के प्राचीन काल के इतिहास के बारे में मिले पुरातात्वीय अवशेष हालाकि गुप्तकाल के हैं ! लेकिन यहाँ मिले सिक्कों से ज्ञात होता है कि ईसा पूर्वकाल में भी यह स्थान आबाद था ! एरण के बारे में माना जाता है कि यह नगर गुप्तकाल में एक महत्वपूर्ण नगर था ! प्राचीन संदर्भ ग्रंथों के अनुसार *जनरल कनिंघम ने सर्वप्रथम प्राचीन एरिकिण नगर की पहचान एरण से की ! एरण को स्वभोग नगर कहा जाता था ! कुछ विद्वानों के अनुसार एरण जेजक भुक्ति की राजधानी रहा है ! विष्णु स्तंभ पर उत्कीर्ण लेख में गुप्त संवत 165 , ( 464 ईस्वी ) अंकित है ! इस लेख के अनुसार गुप्त सम्राट बुद्धगुप्त के राज्यकाल में नर्मदा और यमुना नदियों के बीच वाले प्रदेश के शासक सुरश्मिचंद्र थे ! एरण के प्रादेशिक शासक मातृविष्णु थे ! मातृविष्णु और उनके भाई धन्यविष्णु द्वारा 47 फीट ऊचे एक ही पत्थर के बने, *विष्णु स्तंभ" का निर्माण कराया गया !
उत्खनन से प्राप्त वस्तुओं, सिक्कों आदि से पता चलता है कि एरण स्वतंत्र राज्य के रुप में स्थापित था ! एरण में ईसापूर्व सभ्यता के अवशेष व मूर्ति शिल्प प्राप्त हुए हैं ! एरन में भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों की मूर्ति प्राप्त हुई है ! इससे प्रमाणित होता है ! कि भगवान विष्णु के अनुयायी का लम्बे समय तक एरण क्षेत्र में शासन रहा !
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* एरण में मूर्ति शिल्प -
* 1. वाराह मूर्ति - एरण में विष्णु अवतार महावाराह प्रतिमा जो #भारत में प्राचीन सबसे विशाल बडी प्रतिमा है ! जिसकी ऊचाई लगभग 10 फीट है ! इसका निर्माण एक मीटर ऊचे पत्थर के चबूतरे पर किया गया है ! उसके गले में चारों ओर एक पट्टे पर उत्कीर्ण छोटी छोटी मानव आकृतियों की एक माला है ! शरीर छोटी छोटी वर्तुलाकार अलंकरणों से आच्छादित है ! नारी के रुप में प्रस्तुत की गयी पृथ्वी को दाहिने दांत से सहारा देकर ऊपर उठाया हुआ दर्शाया गया है ! पृथ्वी प्रतिमा का कंधे वाला भाग खंडित है ! स्त्री रुप स्पष्ट दिखाई देता है ! वाराह के पीठ और कंधों और चारों पैरों पर सामने की ओर कमंडल लिए हुए ऋषियों / देव आकृतियां उत्कीर्ण हैं और राशियों का चित्रण है ! दक्षिण दिशा की ओर से देखने पर एक दांत स्पष्ट रुप से दिखाई देता है !
* वाराह के वक्ष के सामने भाग पर #धन्यविष्णु का आठ पक्तियों का एक लेख ब्रम्ही लिपी में लिखा
है ! जिसमें एरण के प्रादेशिक शासक #मातृविष्णु द्वारा मंदिर बनवाये जाने का उल्लेख है !
* 2. विष्णु प्रतिमा - पूर्व मुखी भगवान विष्णु की आदम कद प्रतिमा जिसकी ऊचाई लगभग 8 फीट है ! इसका निर्माण एक मीटर ऊचे पत्थर के चबूतर पर किया गया है ! उक्त मूर्ति वाराह प्रतिमा के समान्तर है ! एरण की गुप्तयुगीन विष्णु प्रतिमा में गोलाकार प्रभा मंडल शैल के विकसित स्वरुप का प्रतीक है !
* 3. विष्णु मंदिर - विष्णु प्रतिमा के सामने ही चार स्तंभों पर खंडित मंदिर स्थित है ! इसके दोनो ओर गंगा यमुना की खंडित मूर्तियां हैं ! नाग पाश की आकृतियां अंकित हैं ! मंदिर के तीनों स्तंभों पर नाग पाश की आकृति उत्कीर्ण हैं ! मंदिर के मध्य भाग में गरुण की खंडित प्रतिमा है !
* 34. नरसिंह प्रतिमा - पूर्व मुखी नरसिंह की आदमकद प्रतिमा जिसकी ऊचाई लगभग आठ फीट है ! एक मीटर ऊचे पत्थर के चबूतरे वाराह और विष्णु प्रतिमा के समानान्तर लेटी हुई अवस्था में रखा गया है ! उक्त प्रतिमा वर्तमान में खंडित अवस्था में है !
* 45. विष्णु स्तंभ - यह एक ही पत्थर का बना 47 फीट ऊचा स्तंभ है ! स्तंभ का निचला भाग बीस फीट जो वर्गाकार है ! चौडाई दो फीट गुणित 10.25 है ! बीस फीट के ऊपर का भाग अष्टकोणीय है ! इसके ऊपर झालरदार घंटाकृति है ! जिसके ऊपर स्तंभ शीर्ष एक वर्गाकार तराशे हुए पत्थर पर रखा है ! शीर्ष पर पूर्व और पश्चिम मुखी एक दूसरे के विपरीत दिशा में सर्प पकडे हुए गरुण की मानव आकृति की प्रतिमा विद्यमान है ! शीर्ष वर्गाकार पत्थर पर चारों कोनों पर चार शेर की आकृति हैं ! जो देखने में आठ शेर होना प्रतीत होते हैं ! स्तंभ के पश्चिम दिशा में उत्कीर्ण लेख में गुप्त संवत 165,
(464 ईसवी)अंकित है ! इस लेख के अनुसार गुप्त सम्राट बद्धगुप्त के राज्यकाल में यमुना और नर्मदा के बीच वाले प्रदेश के शासक सुरश्मिचंद थे ! एरण के प्रादेशिक शासक मातृविष्णु थे ! उनके छोटे भाई धन्यविष्णु द्वारा विष्णुस्तंभ का निर्माण कराया गया !
* 46. द्वीप स्तंभ - विष्णुस्तंभ के समान्तर एक पत्थर के चबूतरे पर गोलाई में लगभग 15 फीट ऊचाई का स्तंभ स्थित है ! जिसका ऊपरी हिस्सा वर्गाकार है ! जिस पर स्तंभशीर्ष उपलब्ध नहीं है !
* 57. अन्य स्तंभ - विष्णु स्तंभ या गरुड स्तंभ के समीप ही दक्षिण दिशा में ध्वस्त मंदिर के भग्नावेश मंदिर निर्माण के स्तंभों को एक जगती पर खडा किया गया है ! इन स्तंभों पर मंगल घट, कीर्तिमुख, पत्रावली आदि का चित्रण है ! इन स्तंभों के नीचे जो आधार है ! उन पर अनेक पौराणिक दृश्य जिनमे कृष्णलीला से संबंधित दृश्य उत्कीर्ण हैं !
* 68. अष्टकोणीय स्तंभ - ऐरण के समीप आधामील दूरी पर पहलेजपुर में एक दूसरा अष्टकोणीय स्तंभ है ! इसका शीर्ष भाग गोलाकार है ! जिस पर #भारत में प्रथम ज्ञात सती लेख उत्कीर्ण है !
* 79. विष्णु वाराह प्रतिमा - एरण के समीप बीना नदी के तट पर विष्णु की वाराह प्रतिमा प्राप्त हुई है ! प्रतिमा का मुख वाराह का नीचे का शेष शरीर मानव का है ! उक्त प्रतिमा पर अंकित ब्रह्मी लिपी लेख से ज्ञात होता है कि महेश्वरदत्त तथा वाराहदत्त के द्वारा मूर्ति की स्थापना चौथी शताब्दी के उत्तरार्द्ध में करायी गयी थी ! वर्तमान में यह मूर्ति डाँ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के संग्रहालय में संरक्षित है !
* 10. महिषामर्दिनी देवी प्रतिमा, गुप्तकाल - एरण के उत्खनन में गुप्तकालीन महिषामर्दिनी देवी की प्रतिमा प्राप्त हुई है ! जो वर्तमान में डाँ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में सुरक्षित है !
मातृविष्णु तथा धन्यविष्णु नामक भाईयों ने विष्णु का ध्वजस्तंभ बनवाया था ! उनकी एक पीढी के बाद हूणों ने एरण पर आक्रमण किया ! उस बडे युद्ध में गुप्त राजा भानुगुप्त की पराजय हूई ! उनके सेनापति गोपराजा वीरगति को प्राप्त हुए ! हूण राजा तोरमाण ने भानुगुप्त को पराजित किया ! नृवाराह की मूर्ति प्रारंभिक गुप्तकाल के बाद की है ! जिससे प्रतीत होता है कि हूण राजा तोरमाण के बाद पुन: गुप्तवंश के राजाओ द्वारा पुन: एरण को वापस जीत लिया था !
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*ऐतिहासिक एरण
 
नोट - यह संकलित लेख जनसामान्य केको एरण की महान विरासत के प्रति जोडने जागरुक बनाने के उद्देश्य से साभार संकलित है ! ऐतिहासिक तथ्यात्मक जानकारी हेतू विषय विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं की जानकारी को ही आधार बनाया जाये !
संकलन साभार - उदयभान कुशवाहा बीना 470113
 
"https://hi.wikipedia.org/wiki/बीना" से प्राप्त