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==परिचय और बचपन==
मेरा नाम उम्मे सिम्रन है। मेरा जन्म कर्नाटक राज्य के बेंगालुरु जिले मे हुआ था। मेरी उम्र १९ साल है। मैं डेग्री के प्रथम वर्श मे पढ रही हुँ और मुझे इतिहास क्षेत्र मे रुचि है। घर में मुझे प्यार से सारे लोग तस्मिया नाम से बुलाते हैं। मेरी उम्र १९ साल है। मैं भरोसेमंद के गुण में विश्वास करती हूँ। मेरा बचपन बहुत ही दर्द भारी भाग से गुज़रा। मैं बचपन में बहुत महत्वाकांक्षी थी। बढती आयु मे मेरे व्यवाह पर बहुत ही गेहरा प्रभाव होने लगा, जहाँ एक शरर्ति बच्ची से हो कर एक दम छुप-छप एक कोने मे घन्ठो भर बेठ जाती थी।
 
==परिवार==
मेरे पिताजी का नाम रियाज़ आर है और मेरी माँ का नाम मुबीन ताज हैं। मैं अपने माता-पिता के छः संतानो मे से चौथी संतान हूँ। मेरे चार बहनेंबहने और एक भाई है। मैं एक विकलांग छात्रछात्रा हूँ, जहाँ मुझे ज़्यादा चलने तक्लीफ होती है। डॉटर का कहना है कि मुझे सेरेब्रल पल्स्यिपल्सी के प्राथमिक स्थिति मेंमे हूँहूँ। औरमुझे कक्षा में सुन्ने मे ज़्यादा तर तक्लीफ होती है। मुझे बचपन से ही एक सुरक्षात्मक माहौल में लाया गाया था। मै सबसे हिल-मिल कर रहती हूँ और मेरा बचपन दोनों सुख और दर्द में बिता (क्योंकि मैं ज़्यादा वक्त अस्पताल मे बिताया करती थी और हमेश घर मे ही रहती थी।)। मैं भरोसेमंद के गुण में विश्वास करती हूँ।
 
==शिक्षा==
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==रुचियाँ और शौक==
मुझे पुराने गाने सुन्ना अच्छा लगता है और इतिहासिक और पौराणिक कथाऔं के बारे मे पढना बहुत पसन्द है। सिलाई-कढाई करना मेरे शौक हैं और हर छुट्टियों मे मैं तरह्-तरह् कि कढाई बानावट सीखती हुँ। मेरी सबसे ज़यादी रुची और जुनून इतिहासिक क्षेत्र मे है, जहाँ मुझे हमारे राजा-महाराजाऔ के बारे में जानना और उनकी राजानीति, राज्या के प्रतिक यौगदान और आनेवाले कल के प्रतीक के बारे मे जानना पसन्द है। मुझे सुलेख लेखन लिखना, कहानियाँ पढना और लिखना, सिलाई-कडाई करना और मटके और कांचों पर चित्रकाला करना आदि शौक हैं। मैं अपने स्कूल में अन्य विषयौं पर निबंध लिखा करती थी और मेरी पहली निबन्ध ६विं कक्षा मे लिखी थी। इसी जुनून मे मैंने अपने ८वीं कक्षा मे इंटर स्कूल प्रतियोगिता मे हिस्सा लिया और लगातार तीन वर्ष तक दूसरी स्थिति मे जीतती थी। अपने जुनिओर कॉलेज मे मॉडल संसद, अतिथ्य उद्योग, वाद-विवाद क्लब कि अदस्य रही हुँ और आदि के प्रतियोगिता भाग लिया है। मेरी ताकत है कि मैं मेहनती हुँ, भरोसेमंद हुँ, सार्वजनिक बोलने और लिखने के कौशल में अच्छि हुँ और मेरी कमजोरी है कि मै दोसरों पर निर्भर हुँ (अकाद्मिक रूप से)।
 
मेरी ताकत है कि मैं मेहनती हुँ, भरोसेमंद हुँ, सार्वजनिक बोलने और लिखने के कौशल में अच्छि हुँ और मेरी कमजोरी है कि मै दोसरों पर निर्भर हुँ (अकाद्मिक रूप से)।
==मेरी आशाएँ==
आगे चल कर मुझे बहुत कुछ स्थित करना है और मेरी एक अलग पेचान बाना है। मैं अपनी पढाई के बाद विदेश जा कर, वहाँ का रहन-सहन देख-रेख कर लौट आने पर मुझे मेरे आस-पास के सभी बच्चों के लिये शिक्षा के क्षेत्र मे सुधार लाने कि इच्चा है। हुमरे देश मे सरकारी स्कूलों मे श्रेष्ठ शिक्षा बहुत खराब है जिस्के कारण लोगों को निजी स्कूलों मे भेजना पडता है। मेरी यहाँ कोशिश है कि सारे सरकारी और निजी स्कूलों में समान गुणवत्ता की शिक्षा मिले और उन्हें प्रेरित करुँ।
एक बार तुल्सिदसजी ने कहा है कि "जाति ना पुछो साधु की, पुछ लिजिये ज्ञान। मोल करो तल्वार की, पडाह रहन दो म्यान॥" अर्थथ किसी व्यक्ति की बाहारी उपस्थिति के साथ कभी भी उसके गुणों की तलाश न करें।
धन्यावाद।