"हेमलता": अवतरणों में अंतर

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| occupation = गायक
| years_active = 1968–वर्तमान
| instrument = वोकल्सस्वर
}}
'''हेमलता''' (जन्म: 16 अगस्त 1954, [[हैदराबाद]]) [[भारतीय सिनेमा]] की एक महत्वपूर्ण पार्श्वगायिका है। 1970 के दशक के अंत से बॉलीवुड में एक प्रमुख पार्श्व गायिका रही हैं। वह शास्त्रीय रूप से प्रशिक्षित है। उन्होंने खुद को फिल्म, [[संगीत गोष्ठी]], टेलीविजन और संगीत में स्थापित किया है।
 
1977-81 की अवधि में उन्हें पाँच बार सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका पुरस्कार के लिए फिल्मफेयर में नामांकित किया गया था। 1977 में ''[[चितचोर (1976 फ़िल्म)|चितचोर]]'' के "तू जो मेरे सुर में" में शास्त्रीय गायन के लिए उन्होंने पुरस्कार जीता था जो कि [[येशुदास]] के साथ गाया गया था और [[रवीन्द्र जैन]] द्वारा रचित था।
 
== करियर ==
1970 के दशक की शुरुआत में, रवीन्द्र जैन अपनी किस्मत आजमाने के लिए बम्बई आए। रवीन्द्र जैन के आने से पहले उन्होंने कमोबेश 100/150 गाने गाए। प्रारंभ में, रवीन्द्र जैन ने अपनी पहली फिल्म ''कांच और हीरा'' (1972) के लिए उनकी आवाज़ का इस्तेमाल किया, फिर ''राख और चिंगारी'' (1974), ''गीत गाता चल'' (1975), ''[[सलाखें (1975 फ़िल्म)|सलाखें]]'' (1975) और ''[[तपस्या (1976 फ़िल्म)|तपस्या]]'', जो ज्यादा लोकप्रिय नहीं रहीं। हालाँकि, हेमलता को पहचान तब मिली जब रवीन्द्र जैन ने उन्हें फिल्म ''[[फकीरा (1976 फ़िल्म)|फकीरा]]'' (1976) के गाने 'सुन के तेरी पुकार' के लिए मौका दिया।
 
उसी वर्ष, रवीन्द्र जैन ने राजश्री बैनर की फिल्म ''चितचोर'' ’के लिए उनकी आवाज का इस्तेमाल किया, जिसके लिए उन्होंने फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। इसके बाद, हेमलता ने 1980 और 1990 के दशक में [[राजश्री प्रोडक्शन्स]] की विभिन्न फिल्मों में खुद को स्थापित किया।
 
== सन्दर्भ ==