"आतंकवाद": अवतरणों में अंतर

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'''आतंकवाद''' एक प्रकार के माहौल को कहा जाता है। इसे एक प्रकार के हिंसात्मक गतिविधि के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो कि अपने [[आर्थिक]], [[धार्मिक]], [[राजनीतिक]] एवं विचारात्मक लक्ष्यों की प्रतिपूर्ति के लिए गैर-सैनिक अर्थात नागरिकों की सुरक्षा को भी निशाना बनाते हैं। गैर-राज्य कारकों द्वारा किये गए राजनीतिक, वैचारिक या धार्मिक हिंसा को भी आतंकवाद की श्रेणी का ही समझा जाता है। अब इसके तहत गैर-क़ानूनी हिंसा और [[युद्ध]] को भी शामिल कर लिया गया है। अगर इसी तरह की गतिविधि आपराधिक संगठन द्वारा चलाने या को बढ़ावा देने के लिए करता है तो सामान्यतः उसे आतंकवाद नहीं माना जाता है, यद्यपि इन सभी कार्यों को आतंकवाद का नाम दिया जा सकता है। गैर-इस्लामी संगठनों या व्यक्तित्वों को नजरअंदाज करते हुए प्रायः इस्लामी या जिहादी के साथ आतंकवाद की अनुचित तुलना के लिए इसकी आलोचना भी की जाती है।
पंकज मंडोठिया के अनुसार आतंकवाद की परिभाषा समय के साथ बदल चुकी 1960 से 1980 के दशकों तक आतंकवाद ऐसी सामुहिक और संगठन को कहा जाता था जो केवल लूटपाट या दबदबा कायम रखने के लिये नागरिकों पर हमलों को अंजाम देता था, पर धीरे इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन बने जिन्होंने इस्लामिक देशों से इस्लाम के नाम पर चंदे की राशि जमा कर दुनिया के पहला आतंकवादी संगठन बनाया जिस का नाम तालेबान था शीत युद्ध के समय अमेरिका ने इस संगठन का स्तेमाल रूस के विरुद्ध किया और इस में तालिबान के लड़ाकों ने रूसी टैंकों हतियारो पर भारी मात्रा में कब्जा किया जिस से इन के मनोबल में बढ़ोत्तरी हुई साथ ही शीत युद्ध के खत्म होने पर तालिबान में भी शाशन को हतियाने की लड़ाई तेज हो गई और यह संघटन तो भागों में बट गया 100 में 75% भाग तालिबान और शेष 25% भाग अलकायदा के रूप में अस्तित्व में आया अमरीका ने तालिबान और अलकायदा दोनों में गहरी फूट पहुँचाकर अलकायदा को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया कई वर्षों तक अलकायदा ने गुप्त रूप से अपने आप को संगठित करके और अरब देशों से दान की राशि से फिदाइन तैयार किये उन्हें पैसा देकर अमेरिका में 5 से 7 वर्ष की पायलट की पढ़ाई पूरी करवाकर उन्हें हवाई जहाज उड़ना सिखवाया 2000 में पढ़ाई पूरी करने के बाद बाद अमेरिका पर हवाई हमले की रणनीति बनाई गई और 9/11 को अमेरिका में चार बडे हवाई हमले कर 3500 से ज्यादा मासूम लोगों को मौत के घाट उतारा गया तब इन से प्रभावित होकर इस्लामिक आतंकवाद की श्रखला सी बन गई और यह आतंकवादी मुसलमानों कुरान मजीद के lesson 9 sura 5 नाम पर गैरमुस्लिमो को मारकर पूरी दुनिया में सिर्फ एक ही धर्म इस्लाम की मांग करने लगें है जिस में इन को गुप्त रूप से मुसलमानों का समर्थन मिल रहा है आज पश्चिमी एशिया और दक्षिण एशिया मुख्यरूप से भारत इस से सबसे ज्यादा झुंझ रहा है हिन्दू बहुलता वाला भारत आज विदेशी मुसलमानों और घरेलू उन मुसलमानों के कृत्यों से परेशान है जो लगातार कट्टरपंथी और आतंकवाद के परिवेश में खुद को ढाल रहें हैं हिन्दू बहुलता होने के बाद भी वह अपने यहाँ के अल्पसंख्यक मुसलमानों के संवैधानिक अधिकारों को बनाये रखने के लिये उन की हर प्रकार से सहायता प्रदान करता है बावजूद इसके भारत के अधिकांश मुसलमान इस देश की संप्रभुता और अखंडता को चोट पहुचाने के प्रयास में लगे रहते हैं भारत 1990 के दशक से अब तक भी इस दंश को केवल हिन्दू बहुलता और धर्मनिरपेक्षता के कारण झेल रहा है क्योंकि कुरान के अनुसार गैरमुस्लिम काफिर होता हो काफिरो से अल्लाह नफरत करता है और काफिर वाजिब ए कत्ल है यानी काटने के लायक है इस लिये जब तक काफिर एक भी बच्चा जिंदा है तब तक जिहाद करो कुरान मजीद की इन बातों पर हजारों मुस्लिम नोजवान जिहाद के नाम पर गैर मुस्लिम के खिलाफ आतंकवाद का रास्ता चुना कर खुद को और अपने परिवारों के साथ साथ समाज के लिये खतरा बन रहें है पर ऐसे बहुत कम मुसलमान हैं जो खुद को अब्दुल कलाम जैसा बनाना चाहता है यही इस देश का दुर्भाग्य है वास्तव में इस्लाम के नाम पर दुनिया पर राज करने का एक खोकला स्वप्न है जिस को इसनियत को कुचलकर हांसिल करने की सोच का नाम आधुनिक आतंकवाद है
 
==शब्द की उत्पत्ति==