"स्तन": अवतरणों में अंतर

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बच्चे के जन्म के समय में उसके वक्षस्थल हल्के उभरे हुए हो सकते हैं। यदि इन उभरे हुए स्तनों को दबाया जाए तो 1-2 बूंदे दूध की भी निकलती है। यह दूध मां के इस्ट्रोजन हार्मोन के प्रभाव के कारण होता है और जिसे आम भाषा में जादूगरनी का दूध कहकर पुकारा जाता है। स्त्रियों के शरीर में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन दूध का निर्माण करता है।
 
वैसे दूध बनाने का प्रमुख कार्य प्रोलेक्टीन का है जो पिट्यूटी ग्रंथि से प्रसव के बाद निकलता है। स्तनों के अंदर कुछ फाइबर्स कोशिकाओं के कारण स्तन छोटे-छोटे हिस्सों में बंटा रहता है जिसमें दूध बनाने वाली ग्रंथियां होती है। यह ग्रंथियां आपस में मिलकर एक नलिका बनाती है जो निप्पल में जाकर खुलती है तथा जहां से दूध रिस्ता है। यह नलिका निप्पल के पास आकर कुछ चौड़ी हो जाती है जहां दूध भी इकट्ठा हो सकता है। स्तनों में मांसपेशियां नहीं होती। केवल एक तरह का लिंगामेंट इसे बांधे रहता है, जिसको कूपरलिगामेंट कहते हैं। इसलिए अधिक वजन के कारण या अच्छा सहारा न मिलने के कारण स्तन नीचे की ओर लटक जाते हैं।हैं और दूसरी ओर कुछ महिलाओं के स्तन पुरुषों की तुलना में छोटे होते हैं, जिनके स्तन बड़े होते हैं, स्तन के आकार भिन्न होते हैं, पुरुष एण्ड्रोजन में अन्य यौन लिंगों के बीच अलग-अलग सेक्स हार्मोन होते हैं और महिला ट्रांसमीजोनोमिक टॉम्बॉय में अंतर होता है कि पहले विषयों में स्तन हैं महिलाओं में दूसरे मामले में पर्याप्त मात्रा में पुरुषों में यह नहीं होता है कि वे अपने आप में स्तन के आकार के बजाय पेन्निकट्टाटोला है।
 
बच्चे के जन्म के बाद स्तनपान कराना अमृत के समान होता है। बच्चे के शरीर का विकास तथा समय के अनुसार शरीर में परिवर्तन आना यह गुण मां के दूध में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है। गर्भावस्था की अवधि के दौरान मां के शरीर में अधिक चर्बी जम जाती है। परन्तु मां के शरीर की चर्बी स्तनपान के साथ-साथ कम होती चली जाती है। मां अपने पहले जैसे सामान्य वजन पर आ जाती है।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/स्तन" से प्राप्त