"वीरभद्र सिंह": अवतरणों में अंतर
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वीरभद्र सिंह (जन्म २३ जून, १९३४) [[हिमाचल प्रदेश]], [[भारत]] के पूर्व [[मुख्यमंत्री]] हैं। उन्होंने ६ मार्च २००३ से ३० दिसम्बर २००७ तक कार्यालय संभाला था। इससे पहले भी १९८३ से १९९० तथा १९९३ से १९९८ तक यह पद ग्रहण किया था। वह [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के सदस्य हैं। १६ मई २००९ को उन्होंने मंडी लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार महेश्वर को रिकॉर्ड मतों से पराजित किया। ऐसे वक्त में जब हिमाचल में बीजेपी की ही सरकार है, और मंडी जिले में अधिकतर विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी के ही विधायक हैं, उन्होंने जीत हासिल की। ये दिखाता है कि हिमाचल प्रदेश की जनता के मन में राजा वीरभद्र के प्रति कितना प्यार है। हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं मंडी लोकसभा क्षेत्र से लोकसभा सांसद वीरभद्र सिंह 15वीं लोकसभा में सबसे वरिष्ठ सांसद हैं. वे सात बार विधायक, पांच बार प्रदेश के मुख्यमंत्री और पांचवीं बार लोकसभा में बतौर सांसद हैं और पिछले आधे दशक में वे कोई चुनाव नहीं हारे. वरिष्ठता के हिसाब से उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह
15वीं लोकसभा में वरिष्ठता के क्रम में हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का नाम सबसे ऊपर है क्योंकि वे 1962 से लेकर 2009 तक यानी पिछले 47 वर्षों में वे एक भी चुनाव नहीं हारे. इस दौरान उन्होंने लोकसभा के पांच चुनाव लड़े और सात विधानसभा चुनाव लड़े.
वीरभद्र सिंह 1962. 1967, 1972, 1980 और वर्तमान लोकसभा 2009 में लोकसभा सांसद हैं. इसके अलावा वे 1983, 1985, 1990, 1993, 1998 और 2003 तथा 2007 में विधायक रहे. इतना ही नहीं 1983,1985, 1993, 1998 और 2003 में उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया. अपने 47 वर्षों के राजनैतिक सफ़र के दौरान उन्होंने 13 चुनाव लड़े और सभी जीते.
वरिष्ठता के क्रम और हिमाचल प्रदेश के अकेले सांसद होने के कारण 22 मई को मनमोहन सिंह के नेतृत्व में बनने वाली केंद्र सरकार में
==कैबिनेट मंत्री, २००९==
श्री [[ वीरभद्र सिंह ]] को [[भारत सरकार]] की [[पंद्रहवीं लोकसभा]] के [[पंद्रहवीं लोकसभा का मंत्रीमंडल|मंत्रीमंडल]]
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