"सोनभद्र जिला": अवतरणों में अंतर

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चर्चित व्यक्तियों मे ऋषि कण्व का नाम क्यों नहीं था।
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'''सोनभद्र''' [[भारत|भारतीय]] राज्य [[उत्तर प्रदेश]] का एक [[जिला]] है। जिले का मुख्यालय [[राबर्ट्सगंज]] है। सोनभद्र जिला, मूल [[मिर्जापुर]] जिले से 4 मार्च 1989 को अलग किया गया था। 6,788 वर्ग किमी क्षेत्रफल के साथ '''यह उत्तर प्रदेश का दुसरा सबसे बड़ा जिला है'''। यह 23.52 तथा 25.32 अंश उत्तरी अक्षांश तथा 82.72 एवं 93.33 अंश पूर्वी देशान्तर के बीच स्थित है। जिले की सीमा पश्चिम में [[मध्य प्रदेश]], दक्षिण में [[छत्तीसगढ़]], पूर्व में [[झारखण्ड]] तथा [[बिहार]] एवं उत्तर में उत्तर प्रदेश का मिर्जापुर जिला है। रार्बट्सगंज जिले का प्रमुख नगर तथा जिला मुख्यालय है। जिले की जनसंख्या 14,63,519 है तथा इसका जनसंख्या घनत्व उत्तर प्रदेश में सबसे कम 198 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है।
 
[[सोन नदी]] जिले में पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है। इसकी सहायक नदी [[रिहन्द]] जो [[छत्तीसगढ़]] एवं [[मध्य प्रदेश]] के पठार से निकलती है सोन में जिले के केन्द्र में मिल जाती है। रिहन्द नदी पर बना [[गोवन्दि वल्लभ पंत सागर]] आंशिक रूप से जिले में तथा आंशिक रूप से मध्य प्रदेश में आता है। यहीं पर सोनभद्र से 8 किमी की दूरी पर कंडाकोट नामक, ऋषि कण्व की तपोस्थली है। में दो भौगोलिक क्षेत्र हैं जिनमें से क्षेत्रफल में हर एक लगभग 50 प्रतिशत है। पहला [[पठार]] है जो विंध्य पहाड़ियों से कैमूर पहाड़ियों तक होते हुए सोन नदी तक फैला हुआ है। यह क्षेत्र गंगा घाटी से 400 से 1,100 फिट ऊंचा है। दूसरा भाग सोन नदी के दक्षिण में सोन घाटी है जिसमें [[सिंगरौली]] तथा [[दुध्दी]] आते हैं। यह अपने प्राकृतिक संसाधनों एवं उपजाऊ भूमि के कारण विख्यात हैं।
 
जिले में दो भौगोलिक क्षेत्र हैं जिनमें से क्षेत्रफल में हर एक लगभग 50 प्रतिशत है। पहला [[पठार]] है जो विंध्य पहाड़ियों से कैमूर पहाड़ियों तक होते हुए सोन नदी तक फैला हुआ है। यह क्षेत्र गंगा घाटी से 400 से 1,100 फिट ऊंचा है। दूसरा भाग सोन नदी के दक्षिण में सोन घाटी है जिसमें [[सिंगरौली]] तथा [[दुध्दी]] आते हैं। यह अपने प्राकृतिक संसाधनों एवं उपजाऊ भूमि के कारण विख्यात हैं।
 
स्वतंत्रता मिलने के लगभग 10 वर्षों [[तक]] यह क्षेत्र (तब [[मिर्जापुर]] जिले का भाग) अलग-थलग था तथा यहां यातायात या संचार के कोई साधन नहीं थे। पहाड़ियों में [[चूना पत्थर]] तथा [[कोयला]] मिलने के साथ तथा क्षेत्र में पानी की बहुतायत होने के कारण यह औद्योगिक स्वर्ग बन गया। यहां पर देश की सबसे बड़ी सीमेन्ट फैक्ट्रियां, [[बिजली घर]] (थर्मल तथा हाइड्रो), एलुमिनियम एवं रासायनिक इकाइयां स्थित हैं। साथ ही कई सारी सहायक इकाइयां एवं असंगठित उत्पादन केन्द्र, विशेष रूप से स्टोन क्रशर इकाइयां, भी स्थापित हुई हैं।