"मेरे महबूब": अवतरणों में अंतर
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'''मेरे महबूब''' 1963 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसका निर्देशन एच॰ एस॰ रवैल ने किया है और इसमें [[राजेन्द्र कुमार]], [[साधना (हिन्दी फ़िल्म अभिनेत्री)|साधना]], [[अशोक कुमार]], [[निम्मी]], [[प्राण (अभिनेता)|प्राण]], [[जॉनी वॉकर (हास्य अभिनेता)|जॉनी वॉकर]] और [[अमीता]] हैं। यह फिल्म एक बड़ी हिट बनी और 1963 में बॉक्स ऑफिस पर नंबर एक स्थान पर रही। यह एक मुस्लिम सामाजिक फिल्म है और इसने [[अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय]] और पारंपरिक लखनऊ से एक पृष्ठभूमि तैयार की है। प्रसिद्ध गीत "मेरे महबूब तुझे मेरी" को विश्वविद्यालय हॉल में फिल्माया गया था और एक-दो स्थानों पर, विश्वविद्यालय देखा जा सकता है।
== संक्षेप ==
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ते समय, अनवर हुसैन ([[राजेन्द्र कुमार]]) को एक बुर्के वाली महिला से प्यार हो जाता है और वह उसे अपने दिमाग से निकाल नहीं पाता है। लखनऊ के रास्ते में, वे नवाब बुलंद अख्तर चंगेज़ी ([[अशोक कुमार]]) से मिलते हैं। कुछ दिनों बाद वो उनसे फिर मिलने जाते हैं ताकि उनके प्रभाव का उपयोग करके एक पत्रिका में अनवर के लिए संपादक की नौकरी हासिल की जा सकें।
नवाब तब अनवर से अपनी बहन, हुस्ना ([[साधना (हिन्दी फ़िल्म अभिनेत्री)|साधना]]) को कुछ कविता सिखाने की कहता है। जिसके लिये वह सहमत हो जाता है और अंततः उसे पता चलता है कि वह ही वो बुर्के वाली महिला है। दोनों एक-दूसरे के प्यार में पड़ जाते हैं और नवाब इस गठबंधन को सहमति दे देते हैं, भले ही अनवर गरीब जीवनशैली जी रहा है। औपचारिक सगाई समारोह होता है और जल्द ही शादी संपन्न होनी होती है। कर्ज में डूबे हुए नवाब को इस बात का एहसास नहीं है कि जल्द ही वह अनवर को एक वेश्या, नजमा की संगति में पाएंगे; और उन पर अमीर मुन्ने राजा से हुस्ना की शादी करने के लिए दबाव डाला जाएगा। वह नवाब की हवेली के साथ-साथ सामानों को नीलाम करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
== मुख्य कलाकार ==
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