"परशुराम": अवतरणों में अंतर

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== मार्शल आर्ट में योगदान ==
भगवान परशुराम शस्त्र विद्या के श्रेष्ठ जानकार थे। परशुराम [[केरल]] के मार्शल आर्ट [[कलरीपायट्टु]] की उत्तरी शैली ''वदक्कन कलरी'' के संस्थापक आचार्य एवं आदि गुरु हैं।<ref name="Zarilli1998">{{cite book |last=Zarrilli |first=Phillip B. |title=When the Body Becomes All Eyes: Paradigms, Discourses and Practices of Power in Kalarippayattu, a South Indian Martial Art |year=1998 |publisher=Oxford University Press |location=Oxford}}</ref> वदक्कन कलरी अस्त्र-शस्त्रों की प्रमुखता वाली शैली है।
 
भगवान परशुराम की आयु के बारे में बहुत बड़ा संशय है वे रामायण ओर महाभारत दोनों कालों में जीवित थे अलग विद्वानों द्वारा लिखे लेखों से उनकी उम्र कई जगह 2हजार तो कई जगह 4हजार साल तक प्रतीत होती है याने महाभारत ओर रामायण का जितना अंतर है उससे अधिक इनकी उम्र है
 
इनकी सहि उम्र गुजरात तट पर खोजी गई द्वारका की कार्बन डेटिंग से आंकी जा सकती है समुद्द् में डूबी द्वारका नगरी की कार्बन डेटिंग से उम्र 9हजार साल बतायी गयी है रामायण काल इससे 300वर्ष आगे है इस गणना से जब परशुराम ने कर्ण कॊ दीक्षा दी थी तब परशुराम की आयु लगभग 322 वर्ष थी महाभारत युध में कर्ण की आयु 107वर्ष बतायी जाती है उस समय के लोगों की औसत आयु के आधार पर 322 की उम्र जायज ठहराई जा सकती है
 
== बाहरी स्रोत ==