"प्लासी का पहला युद्ध": अवतरणों में अंतर

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अंग्रेजी सेना का सेनापति था रोबर्ट क्लाइव और सिराजुदौला का सेनापति था मीरजाफर। रोबर्ट क्लाइव ये जानता था की आमने सामने का युद्ध हुआ तो एक घंटा भी नहीं लगेगा और हम युद्ध हार जायेंगे और क्लाइव ने कई बार चिठ्ठी लिख के ब्रिटिश पार्लियामेंट को ये बताया भी था। इन दस्तावेजों में क्लाइव की दो चिठियाँ भी हैं। जिसमे उसने ये प्रार्थना की है कि अगर प्लासी का युद्ध जीतना है तो मुझे और सिपाही दिए जाएँ। उसके जवाब में ब्रिटिश पार्लियामेंट के तरफ से ये चिठ्ठी भेजी गयी थी की हम अभी (1757 में) नेपोलियन बोनापार्ट के खिलाफ युद्ध लड़ रहे हैं और प्लासी से ज्यादा महत्वपूर्ण हमारे लिए ये युद्ध है और इस से ज्यादा सिपाही हम तुम्हे नहीं दे सकते।
 
रोबर्ट क्लाइव ने तब अपने दो जासूस लगाये और उनसे कहा की जा के पता लगाओ की सिराजुदौला के फ़ौज में कोई ऐसा आदमी है जिसे हम रिश्वत दे लालच दे और रिश्वत के लालच में अपने देश से गद्दारी कर सके। उसके जासूसों ने ये पता लगा के बताया की हाँ उसकी सेना में एक आदमी ऐसा है जो रिश्वत के नाम पर बंगाल को बेच सकता है और अगर आप उसे कुर्सी का लालच दे तो वो बंगाल के सात पुश्तों को भी बेच सकता है। और वो आदमी था मीरजाफर और मीरजाफर ऐसा आदमी था जो दिन रात एक ही सपना देखता था की वो कब बंगाल का नवाब बनेगा। ये बातें रोबर्ट क्लाइव को पता चली तो उसने मीरजाफर को एक पत्र लिखा। कम्पनी ने इसके बाद कठपुतली नवाब [[मीर जाफर]] को सत्ता दे दी किंतु ये बात किसी को पता न थी केकि सत्ता कम्पनी के पास है। नवाब के दरबारी तक उसे क्लाइव का गधा कहते थे कम्पनी के अफ़सरों ने जम करजमकर रिश्वत बटोरी बंगाल का व्यापार बिल्कुल तबाह हो गया था इसके अलावा बंगाल मे बिल्कुल अराजकता फ़ैल गई थी।
 
''प्लासी युद्ध के कारण और परिणाम'''
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'''फ्रांसीसीयों पर अंग्रेजों का आक्रमण-'''
 
अंग्रेजों ने फ्रांसीसीयोंफ्रांसीसियों की वस्ती चन्द नगर पर आक्रमण कर दिया। और उसे अपने अधिनअधीन कर लिया। फ्रांसिसी नवाब के मित्र थे इसलिए नवाब इस घटना से काफी क्षुब्ध थे।
 
'''मीरजाफर के साथ गुप्त संधि –'''
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सिराजुद्दौला के हटने से अंग्रेजों को राजनीतिक प्रभुत्व बढाने का फायदा मिला। मुगल साम्राज्य के लिए बी प्लासी का परिणाम घातक सिद्ध हुआ बंगाल से प्रतिवर्ष मुगल शासक को अच्छी आमदनी होती थी लेकिन अब यह आमदनी समाप्त हो गई। अंग्रेजों को भारतीय नरेशों को कमजोरी की जानकारी मिल गई। भविष्य में उसने उसका काफी फायदा उठाया और उत्तरी भारत की विजय का मार्ग प्रशस्त हुआ।
 
'''आर्थीकआर्थिक परिणाम-'''
 
इस युद्ध के द्वारा अंग्रेजों को काफी आर्थीकआर्थिक लाभ पहुँचा मीरजाफर ने कम्पनी को 1 करोड़ 17 लाख रुपये दिये जिससे कम्पनी की आर्थीकआर्थिक स्थिति काफी मजबूत हो गई बंगाल की लुट से बीभी उसे काफी धन हाथ लगा। कम्पनी के मठ कर्मचारीयोंकर्मचारियों को साढ़े 12 लाख रुपए मिले। क्लाइव को दो लाख 24 हजार रुपए मिले। इस युद्ध के पश्चात कम्पनी धीरे- 2 जागीदार बाद में बंगाल की दीवान बन गई। इस प्रकार इसके द्वारा भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव डाली गई। अंग्रेजों को पुन: व्यापार करने का अधिकार मिला मीरजाफर ने कम्पनी को घुसघूस के रूप में 3 करोड़ रुपए प्रदान किए तथा व्यापार से भी अंग्रेजों ने 15 करोड़ का मुनाफा कमाया।
 
By- Mohammad Shahid (https://www.facebook.com/shahid.sta)