"भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुम्बई": अवतरणों में अंतर

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'''भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुम्बई''' [[मुम्बई]] शहर के उत्तर-पश्चिम में [[पवई]] झील के किनारे स्थित [[भारत]] का अग्रणी स्वशासी अभियांत्रिकी विश्वविद्यालय है। यह [[भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान]] श्रृंखला का दूसरा सबसे बड़ा परिसर और [[महाराष्ट्र]] राज्य का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है। आई. आई. टी., मुंबई [[भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान]] श्रृंखला का दूसरा संस्थान था, जो [[यूनेस्को]] और [[सोवियत संघ]] के अनुदान से सन् [[१९५८]] में स्थापित हुआ था। यूनेस्को ने सोवियत संघ की सहायता से मशीनरी और तकनीकी ज्ञान उपलब्ध कराया और भारतीयभारत सरकार ने निर्माण और अन्य खर्चों का वहन किया। संस्थान के निर्माण के लिये मुंबई से १८ मील दूर [[पवई]] में ५५० [[एकड़]] भूमि राज्य सरकार ने उपलब्ध कराई। निर्माण के दौरान ही [[२५ जुलाई]] [[१९५८]] को सिंथेटिक एंड आर्ट सिल्क मिल्स रिसर्च एसोसिएसन(SASMIRA) [[वर्ली]] [[मुंबई]] के प्रांगण में १०० छात्रों के साथ प्रथम शिक्षण सत्र का प्रारंभ हुआ। इस सत्र के लिये कुल ३,४०० आवेदन पत्र प्राप्त हुए थे। इनमें से १०० छात्रों को रसायन, जनपथ, यांत्रिकी, विद्युत और धातु अभियंत्रण के प्रथम वर्ष स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया गया। संस्थान को स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य विभिन्न अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी विषयों के लिये उपयुक्त शिक्षकों और सुविधाओं को उपलब्ध कराना था। निर्माण के दौरान स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिये आवश्यक ढाँचे के विकास को भी ध्यान में रखा गया था।
[[Image:IITB Main Building.jpg|thumb|left|300px|भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान, मुंबई]]
इसी बीच भवन निर्माण के लिये प्रयास तेज किये गये। जब [[पंडित जवाहर लाल नेहरु]] ने [[१० मार्च]] [[१९५९]] को, पवई में संसथान की नींव रखी थी तब [[बिजली]] और [[पानी]] आपूर्ति के लिये लाइनें बिछाने का कार्य चल रहा था और वहाँ तक पहुँचने के लिये एक सड़क निर्माणाधीन थी। आज, लगभग ५० वर्षों के बाद, भी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई विज्ञान, अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपना अमूल्य योगदान दे रहा है। संस्थान ने विश्व स्तर के अभियंता और वैज्ञानिक प्रदान किये हैं। संस्थान से उत्तीर्ण छात्र आज विश्व के कोने-कोने में शिक्षक, तकनीकी विशेषज्ञ, सलाहकार, वैज्ञानिक, स्वरोजगार, संचालक, प्रबंधक तथा अन्य कई रुपों में अपनी योग्यता सिद्ध कर रहे हैं।