"क़ुरआन की आलोचना": अवतरणों में अंतर

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==कुरान में अवैज्ञानिकता==
कुरान- आसमान पहले बना या जमीन?
देखे कुरान 2/29 –‘वही तो है जिसने तुम्हारे लिये जमीन की सारी चीजे पैदा की , फिर आकाश की ओर रुख किया ,ठीक तौर पर सात आकाश बनाये वह हर चीज को जानता है”
 
देखे कुरान 41/9-12 –“कहो:” क्या तुम उसका इंकार करते हो जिसने धरती को दो दिनो मे पैदा किया और तुम उसको समकक्ष ठहराते हो ? वह तो सारे संसार का रब है, और उसने उस [धरती] मे उसके उपर पहाड़ जमाये, उसमे बरकत रखी, और उसमे उसकी खुराको को ठीक अंदाजे मे रखा ! मांग करनेवालो के लिये यह सब चार दिन मे हुआ! फिर उसने आकाश की ओर रुख किया जब कि वहां मात्र धुंआ था — और उसने उससे और धरती से कहा और स्वेच्छा के साथ या अनिच्छा के साथ! उन्होने कहा की हम स्वेच्छा के साथ आये!
फिर दो दिनो मे उनको अर्थात सात असमान बनाकर पूरा किया और प्रत्येक आकाश मे उससे सम्बंधित आकाश की प्रकाशना कर दी ! दुनिया के [निकटवर्ती] आकाश को अपने दीपो से सजाया [रात मे यात्रियो को दिशानिर्देश आदि के लिये ] और सुरक्षित करने के उद्देश्य से! वह अत्यंत प्रभुत्वशाली सर्वज्ञ के लिये ठहराया हुआ है !”
देखे कुरान 79/27–33 क्या तुम्हे पैदा करना अधिक कठिन कार्य है या आकाश को? अल्लाह ने उसे बनाया उसकी ऊँचाई को खूब ऊँचा करके उसे ठीक ठाक किया ! और उसकी रात को अंधकारमय बनाया और उसका दिवस प्रकाश प्रकट किया और धरती को देखो उसके पश्चात उसे फैलाया ! उसमे से उसका पानी और चारा निकाला और पहाड़ो को देखो ! उन्हे उस [धरती] मे जमा किया ! तुम्हारे लिये तुम्हारे मवेशियो के जीवन सामग्री के रूप मे
 
देखे कुरान 16/15-16″ और उसने धरती मे अटल पहाड़ डाल [गाड़] दिये की तुम्हे लेकर झुक न पड़े और नदियाँ बनाई! और प्राकृतिक मार्ग बनाये ताकि तुम मार्ग पा जाओ ! और मार्ग चिन्ह भी बनाये तारो के द्वारा लोग मार्ग पा लेते है !
देखे कुरान 79/27–33 क्या तुम्हे पैदा करना अधिक कठिन कार्य है या आकाश को? अल्लाह ने उसे बनाया उसकी ऊँचाई को खूब ऊँचा करके उसे ठीक ठाक किया ! और उसकी रात को अंधकारमय बनाया और उसका दिवस प्रकाश प्रकट किया और धरती को देखो उसके पश्चात उसे फैलाया ! उसमे से उसका पानी और चारा निकाला और पहाड़ो को देखो ! उन्हे उस [धरती] मे जमा किया ! तुम्हारे लिये तुम्हारे मवेशियो के जीवन सामग्री के रूप मे
देखे कुरान 16/40 किसी चीज के लिये हम जब उसका इरादा करते है, तो हमारा कहना बस यही होताहै की उससे कहतेहै की “हो जा!” [कुन] और वह हो जाती है !
 
देखे कुरान 16/15-16″ और उसने धरती मे अटल पहाड़ डाल [गाड़] दिये की तुम्हे लेकर झुक न पड़े और नदियाँ बनाई! और प्राकृतिक मार्ग बनाये ताकि तुम मार्ग पा जाओ ! और मार्ग चिन्ह भी बनाये तारो के द्वारा लोग मार्ग पा लेते है !
 
देखे कुरान 16/40 किसी चीज के लिये हम जब उसका इरादा करते है, तो हमारा कहना बस यही होताहै की उससे कहतेहै की “हो जा!” [कुन] और वह हो जाती है !
जब कुरान मे सृष्टि [कायनात ] बनाने के सम्बंध मे पढ़ते है तब कुछ प्रश्न खड़े होते है ! जैसे-
[1] धरती पहले बनी या आकाश पहले बना, अल्लाह के बयान मे इतना अंतर क्यो है