"वन्दे मातरम्": अवतरणों में अंतर

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== इतिहास ==
 
[[बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय]] ने वन्दे मातरम् गीत के पहले दो पैराग्राफपद्य १८७६ में संस्कृत में लिखे। इन दोनो पैराग्राफपद्य में केवल मार्तमातृ-भूमि की वन्दना है। उनहोने ने १८८२ में [[आनन्द मठ]] नाम का उपन्यास बंगला में लिखा और इस गीत को उसकाउसमें हिस्सासम्मिलित बनाया।किया। उस समय इस उपन्यास की जरूरत समझते हुये इसके बाद के पैराग्राफपद्य बंगला भाषा में जोड़े गये। इन बाद के पैराग्राफपद्य में [[दुर्गा]] की स्तुति है।
 
कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन (१८९६) में, [[रवीन्द्रनाथ ठाकुर]] ने इसे लय और संगीत के साथ गाया। [[श्री अरविन्द]] ने इस गीत का अंग्रेजी में और [[आरिफ मौहम्मद खान]] ने इसका उर्दू में अनुवाद किया है|
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हालांकि ऐसा नहीं है कि भारत के सभी मुसलमानों को इस पर आपत्ति है या सब हिन्दू इसे गाने पर जोर देते हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि कुछ साल पहले संगीतकार [[ए.आर. रहमान]] ने, जो ख़ुद एक मुसलमान हैं, 'वंदेमातरम्' को लेकर एक एलबम तैयार किया था जो बहुत लोकप्रिय हुआ है। ज्यादतर लोगों का मानना है कि यह विवाद राजनीतिक विवाद है। गौर तलब है कि [[ईसाई]] लोग भी मूर्त पूजन नहीं करते हैं पर इस समुदाय से इस बारे में कोई विवाद नहीं है।
 
== स्रोत्रसंदर्भ ==
* [http://unmukth.wordpress.com/2006/10/05/national-song/ उन्मुक्त - वन्दे मातरम्]
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