"सिंधु जल समझौता": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
No edit summary टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 7:
इस समझौते के अनुसार, तीन "पूर्वी" नदियों — [[ब्यास नदी|ब्यास]], [[रावी नदी|रावी]] और [[सतलुज नदी|सतलुज]] — का नियंत्रण भारत को, तथा तीन "पश्चिमी" नदियों — [[सिन्धु नदी|सिंधु]], [[चनाब नदी|चिनाब]] और [[झेलम नदी|झेलम]] — का नियंत्रण पाकिस्तान को दिया गया। हालाँकि अधिक विवादास्पद वे प्रावधान थे जनके अनुसार जल का वितरण किस प्रकार किया जाएगा, यह निश्चित होना था। क्योंकि पाकिस्तान के नियंत्रण वाली नदियों का प्रवाह पहले भारत से होकर आता है, संधि के अनुसार भारत को उनका उपयोग [[सिंचाई]], परिवहन और बिजली उत्पादन हेतु करने की अनुमति है। इस दौरान इन नदियों पर भारत द्वारा परियोजनाओं के निर्माण के लिए सटीक नियम निश्चित किए गए। यह संधि पाकिस्तान के डर का परिणाम थी कि नदियों का आधार (बेसिन) भारत में होने के कारण कहीं युद्ध आदि की स्थिति में उसे सूखे और अकाल आदि का सामना न करना पड़े।
1960 में हुए सिंधु जल समझौते के बाद से भारत और पाकिस्तान में कश्मीर मुद्दे को लेकर तनाव बना हुआ है। हर प्रकार के असहमति और विवादों का निपटारा संधि के ढांचे के भीतर प्रदत्त कानूनी प्रक्रियाओं के माध्यम से किया गया है। <!-- संधि माना जाता है एक के सबसे सफल watersharing प्रयासों की आज की दुनिया में, यहां तक कि हालांकि विश्लेषकों को स्वीकार करते हैं की जरूरत है अद्यतन करने के लिए कुछ तकनीकी विनिर्देशों और विस्तार की गुंजाइश दस्तावेज़ शामिल करने के लिए [[जलवायु परिवर्तन]]है। <ref>Strategic Foresight Group, [http://www.strategicforesight.com/publication_pdf/10345110617.pdf The Indus Equation Report]</ref> --> इस संधि के प्रावधानों के अनुसार सिंधु नदी के कुल पानी का केवल 20% का उपयोग भारत द्वारा किया जा सकता है। जिस समय यह संधि हुई थी उस समय पाकिस्तान के साथ भारत का कोई भी युद्ध नही हुआ था उस समय परिस्थिति बिल्कुल सामान्य थी पर 1965 से पाकिस्तान लगातार भारत के साथ हिंसा के विकल्प तलाशने लगा जिस में 1965 में दोनों देशों में युद्ध भी हुआ और पाकिस्तान को इस लड़ाई में हार का सामना करना पड़ा फिर 1971 में पाकिस्तान ने भारत के साथ युद्ध लड़ा जिस में उस को अपना एक हिस्सा खोना पड़ा जो बंगला देश के नाम से जाना जाता है तब से अब तक पाकिस्तान आतंकवाद और सेना दोनों का स्तेमाल कर रहा है भारत के विरुद्ध, जिस की वजह से किसी भी समय यह सिंधु जल समझौता खत्म हो सकता है और जिस प्रकार यह नदियाँ भारत का हिस्सा हैं तो स्वभाविक रूप से भारत इस समझौते को तोड़ कर पूरे पानी का स्तेमाल सिंचाई विधुत बनाने में जल संचय करने में कर सकता है पंकज मंडोठिया ने समझौते और दोनों देशों के बीच के तनाव को ध्यान में रख कर इस समझौते के टूटने की बात कही है क्योकि अब परिस्थिति 1960 सेसेसेसे
== प्रावधान ==
|