"दयानन्द सरस्वती": अवतरणों में अंतर

आर्य समाज की स्थापना 1875 को मुंबई में की गई
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* [[लाला लाजपत राय]] ने कहा - स्वामी दयानन्द मेरे  गुरु हैं। उन्होंने हमे स्वतंत्र विचारना, बोलना और कर्त्तव्यपालन करना सिखाया। 
 
== लेखन व साहित्य! ==
स्वामी दयानन्द सरस्वती ने कई धार्मिक व सामाजिक पुस्तकें अपनी जीवन काल में लिखीं। प्रारम्भिक पुस्तकें संस्कृत में थीं, किन्तु समय के साथ उन्होंने कई पुस्तकों को आर्यभाषा ([[हिन्दी]]) में भी लिखा, क्योंकि आर्यभाषा की पहुँच [[संस्कृत]] से अधिक थी। हिन्दी को उन्होंने ''''आर्यभाषा'''' का नाम दिया था।<ref>[http://www.pravasiduniya.com/maharshi-dayanand-madhu-sandhu आर्य भाषा के उन्नायक महर्षि दयानन्द] – डॉ॰ मधु संधु</ref> उत्तम लेखन के लिए आर्यभाषा का प्रयोग करने वाले स्वामी दयानन्द अग्रणी व प्रारम्भिक व्यक्ति थे।