"आशा भोसले": अवतरणों में अंतर

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=== गायिकी के क्षेत्र मे संघर्ष ===
एक समय जब प्रसिद्ध गायिका यथा- [[गीता दत्त]], [[शमशाद बेगम]] और [[लता मंगेशकर]] का जमाना था। चारो ओर इन्ही का प्रभुत्व था। आशा जी गाना चाहती थी पर इन्हे गाने का मौका तक नहीं दिया जाता था। आशा जी सिर्फ दुसरे दर्जे की फिल्मों के लिए ही गा पाती थी। 1950 के दशक में बॉलीवुड के अन्य गायिकाओं की तुलना में आशा जी ने कम बजट की ‘बी’ और ‘सी’ ग्रेड फिल्मों के लिए बहुत से गीत गाए। इनके गीतो के संगीतकार ए. आर. कुरैशी (अल्ला रख्खा खान), सज्जाद हुसैन और गुलाम मोहम्मद थे। जो काफी असफल रहे। 1952 ई. में दिलीप कुमार अभिनीत फिल्म ‘संगदिल’ जिसके संगीतकार सज्जाद हुसैन थे, ने प्रसिद्धि दिलाई। परिणाम स्वरूप विमल[[बिमल राय]] ने एक मौका आशा जी को अपनी फिल्म ‘परिणीता’ (1953) के लिए दिया। [[राज कपुरकपूर]] ने गीत ‘नन्हे मुन्ने बच्चे।...’ के लिए [[मोहम्मद रफी]] के साथ फिल्म ‘बुट पॉलिश्’(1954) के लिए अनुबंधित किया जिसने काफी प्रसिद्धि आशा जी को दिलाई। ओ.पी. नैयर ने आशा जी को बहुत बड़ा अवसर ‘सी. आई. डी.’(1956) के गीत गाने के लिए दिया। इस प्रकार 1957 की फिल्म ‘नया दौर’ बी. आर. चोपड़ा ने नैयर साहब के संगीतकार रूप में आशा जी को बी. आर. चोपड़ा से पहली सफलता प्राप्त हुई। इस साझेदारी ने कई प्रसिद्ध गीतो को जनमानस के बीच लाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। फिर [[सचिन देव वर्मनबर्मन]] और [[रवि (संगीत निर्देशक)|रवि]] जैसे संगीतकारो ने भी आशा जी को मौका दिया। 1966 ई. में संगीतकार आर. डी. वर्मन की सफलतम फिल्म ‘तीसरी मंजिल’ में आशा जी ने आर. डी. वर्मन के साथ काफी प्रसिद्धि बटोरी। 1960 से 1970 के बीच प्रसिद्ध डॉसर हेलन की आवाज बनी। ऐसा कहा जाता है कि जब भी आशा जी गाती थी तो हेलन रिकाडिंग के समय मौजुद रहती थी ताकि गाने को अच्छी तरह समझ सके और अच्छी तरह नृत्य उस गाने पर कर सके। आशा जी और हेलन के प्रसिद्ध गीतों में ‘पिया तु अब तो आजा...’(कारवॉ), ‘ ओ हसीना जुल्फो वाली...’(तीसरी मंजिल) और ‘ये मेरा दिल...(डॉन) शामिल है। 1981 मे उमराव जान और इजाजत (1987) मे पारम्परिक गज़ल गाकर आशा जी ने आलोचकों को करारा जबाब दिया। अपनी गायन प्रतिभा का लोहा मनवाया। इन्ही दिनो इन्हे उपरोक्त दोनो फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार ‘बेस्ट फिमेल प्लेबैक सिंगर’ मिला। आशा जी 1990 तक लगातार गाती रही। 1995 की हिट फिल्म ‘रंगीला’ से एक बार पुन: अपनी दुसरी पारी का आरंभ किया। 2005 में 72 वर्षीय आशा जी ने तमिल फिल्म ‘चन्द्रमुखी’ और पॉप संगीत ‘लक्की लिप्स...’ सलमान खान अभिनित के लिए गाया जो चार्ट बस्टर में प्रसिद्ध रहा। अक्टूबर 2004,’द वेरी बेस्ट ऑफ आशा भोसले’, ‘द क्वीन ऑफ बॉलीवुड’ आशा जी के द्वारा गाए गीतो का एलबम (1966-2003) रिलिज किया गया।
 
=== फिल्म जो मिल का पत्थर साबित हुई ===