"राज्य": अवतरणों में अंतर

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वैचारिक स्तर पर राज्य को मार्क्सवाद, नारीवाद और अराजकतावाद आदि से चुनौती मिली है। लेकिन अभी राज्य से परे किसी अन्य मज़बूत इकाई की खोज नहीं हो पायी है। राज्य अभी भी प्रासंगिक है और दिनों-दिन मज़बूत होता जा रहा है।
 
==राज्य का अर्थ==

यूरोपीय चिंतन में राज्य के चार अंगमूल तत्व बताये जाते हैं -
 
निश्चित भूभाग , जनसँख्या , सरकार और संप्रभुता।
 
मैक्स वेबर ने राज्य को ऐसा समुदाय मन है जो निर्दिष्ट भूभाग में भौतिक बल के विधिसम्मत प्रयोग के एकाधिकार का दावा करता है।
 
गार्नर ने राजनीति विज्ञान का आरंभ और अंत राज्य को ही बताया है वहीं आरजे गेटल ने राजनीति विज्ञान को राज्य का विज्ञान बताया है।
 
भारतीय राजनीतिक चिन्तन में 'राज्य' के सात अंग गिनाये जाते हैं-
 
[[राजा]] या स्वामी, [[मंत्री
]] या [[अमात्य]], सुहृद, [[देश]], [[कोष]], [[दुर्ग]] और [[सेना]]। ('''[[राज्य की भारतीय अवधारणअवधारणा]]''' देखें।)
 
'''कौटिल्य ने''' राज्य के सात अंग बताये हैं और ये उनका "'''सप्तांग''' '''सिद्धांत "''' कहलाता है -
 
[[राजा]] , आमात्य या [[मंत्री]] , पुर या [[दुर्ग]] , [[कोष]] , [[दण्ड]], मित्र ।
राज्य का क्षेत्रफल बड़ा होता है। अर्थात बड़ा भूभाग से घिरा क्षेत्र।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/राज्य" से प्राप्त