"आल्हा": अवतरणों में अंतर
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महोबे का इतिहास)}}</ref>
आलहा-ऊदल ने अपनी मातृभूमि की रक्षा हेतु [[पृथ्वीराज चौहान]] से युद्ध करते हुए ऊदल वीरगति प्राप्त
आल्हा को अपने छोटे भाई की वीरगति की खबर सुनकर अपना अपना आपा खो बैठे और पृथ्वीराज चौहान की सेना पर मौत बनकर टूट पणे आल्हा के सामने जो आया मारा गया 1 घंटे के घनघोर युद्ध की के बाद पृथ्वीराज और आल्हा आमने-सामने थे
दोनों में भीषण युद्ध हुआ पृथ्वीराज चौहान बुरी तरह घायल हुए आल्हा के गुरु गोरखनाथ के कहने पर
आल्हा ने पृथ्वीराज चौहान को जीवनदान दिया और बुंदेलखंड के महा योद्धा आल्हा ने नाथ पंथ स्वीकार कर लिया
==इन्हें भी देखें==
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