"धूमकेतु": अवतरणों में अंतर
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== इतिहास ==
पौराणिक मान्यता के अनुसार धूमकेतु का आगमन अपशकुन लाने वाला माना जाता था | कुछ लोगों ने इसे गिरते तारे की संज्ञा दी थी | अरस्तू ने अपनी प्रथम पुस्तक मिट्रियोलोजी में धूमकेतु की चर्चा की थी | पहले के कई बुद्धिजीवियों ने इसे सौरमंडल के ग्रहों के रूप में मान्यता दी थी | परन्तु अरस्तू ने इस धारणा को नकार दिया क्योंकि ग्रह आकाश में एक निश्चित नक्षत्र में दिखाई देते है जबकि धूमकेतु आसमान में कहीं भी देखे जा सकते है | अरस्तू के अनुसार धूमकेतुओं का जन्म पृथ्वी के बाहरी वातावरण में हुआ था | धूमकेतुओं की तरह उल्का, एरोरा, बोरोलियास और आकाशगंगा के लिए भी अरस्तू की यही मान्यता थी | अरस्तू के इस मत से कई तत्कालीन बुद्धिजीवीयों ने असहमति जताई थी | सेनेका ने नेचरल क्वेश्चन में इस मत पर असहमति व्यक्त की है | उनके अनुसार धूमकेतुओं पर बाहरी वातावरण या पवन का कोई असर नहीं होता है | तब के मानव को अंतरिक्ष के बारे में बहुत कम ज्ञान था
== कुछ प्रसिद्घ धूमकेतु ==
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