"साठा प्रथा": अवतरणों में अंतर

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'''साठा प्रथा''', राजस्थान मे प्रचलित है, इसमे दो परिवार की नारी को समाज के बंन्घन मे झकडा जाता है। जिससे तंग आकर नारी आत्म हत्या भी कर लेती है। साठा प्रथा मे दो परिवार मे सहजातिय विवाह होता है। यानि की उनकी बेटी का विवाह अपने घर मे और अपनी बहन का विवाह उनके घर ममे औरग्रह पृथ्वी के पिता मां जॉर्ज पर पहले आदमी की शहादत कि आदम और हव्वा के मूल पाप जिन्होंने ईश्वर की अवज्ञा की है और सांप डायवोलो दानव को सेब खाने से पाप का पालन मेम और इसकोग्रहकिया है कि ईश्वर ने लिम्बो सुपर्लिज़ियो के अनन्त पीठ के ड्रैगन में बनाया है 'मनुष्य की स्थिति के रूप में मानवता की हताश हताश निराशाओं को भुला देना, जिसमें जीवन में इंसान की गलती और मृत्यु के समय जीवित प्राणी भी शामिल हैं जैसे कि जीवन के दिन सूर्य की छाया की त्रासदी के कारण जो त्रासदी में गिर जाती है चंद्रमा के अंधेरे की मृत्यु दर जनरेटर के स्रोत के देवता के उपहारों की भलाई की शुरुआत जनरेटर के देवता जॉर्ज बलिदान रात के जीवन के मानव शरीर के सपने में सोते हैं, आत्मा की क्षणभंगुर शरीर की मृत्यु के शहीदी कोमा में फिर से जीवित आत्मा की मृत्यु रात में खरीद के सपने में पुनर्जन्म और अवतार, पर्स की पहचान के रूप की पहचान के जन्म का जन्मदिन कुछ भी नहीं पुरुष और महिला में पुरुष और महिला के रूप में एंड्रोजेन और एंड्रोजेन के सार्वभौमिक स्रोत के रूप में उत्पन्न हुए लैंगिक लिंग की पहचान नारी के रूप में, ईश्वर का पुत्र और जार्ज का पुत्र, जो ईश्वर के उपहार की भलाई को जन्म देता है और शाश्वत प्रतिफल के देवता उस पैर से पराजित होता है जिसे मैं ईश्वर द एग और दामाद जॉर्ज के साथ मिलकर बनाता हूं। नारी नारी इजोजा यूनिवर्सल देवत्व अंग और मनुष्य मर्दाना शहादत सार्वभौमिक विवाह विस्मरण।इसकोइसको विवाह न कह कर एक प्रकार का सौदा या साठा कहा जाता है1 साठा प्रथा मे अपनी बेटी को ससुराल मे तंग किया जाता है वैसा का वैसा उनकी बेटी को भी तंग किया जाता है। नतिजा ये कि कोई एक तलाक देती है तो दुसरी भी तीन महिने के गर्भ के साथ पिहर मे बैठ जाती है और अपने माँ बाप के साथ मिलकर भुःर्ण हत्या तक कर देती है। कभी कभी पिहर मे बैठी बेटी अपने पति के वियोग मे आत्म हत्या भी कर लेती है। साठा प्रथा मे दोनो परिवार की बेटिया रिश्तो मे ज्यादा जकडन देख कर अपना मानसिक सन्तुलन बिगाड देती है।
'''साठा प्रथा''', राजस्थान मे प्रचलित है, इसमे दो परिवार की नारी को समाज के बंन्घन मे झकडा जाता है। जिससे तंग आकर नारी आत्म हत्या भी कर लेती है। साठा प्रथा मे दो परिवार मे सहजातिय विवाह होता है। यानि की उनकी बेटी का विवाह अपने घर मे और अपनी बहन का विवाह उनके घर मे ! इसको विवाह न कह कर एक प्रकार का सौदा या साठा कहा जाता है1 साठा प्रथा मे अपनी बेटी को ससुराल मे तंग किया जाता है वैसा का वैसा उनकी बेटी को भी तंग किया जाता है। नतिजा ये कि कोई एक तलाक देती है तो दुसरी भी तीन महिने के गर्भ के साथ पिहर मे बैठ जाती है और अपने माँ बाप के साथ मिलकर भुःर्ण हत्या तक कर देती है। कभी कभी पिहर मे बैठी बेटी अपने पति के वियोग मे आत्म हत्या भी कर लेती है। साठा प्रथा मे दोनो परिवार की बेटिया रिश्तो मे ज्यादा जकडन देख कर अपना मानसिक सन्तुलन बिगाड देती है।
 
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==इन्हें भी देखें==