"राजनीतिक दर्शन": अवतरणों में अंतर

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यह भी याद रखना चाहिए कि कम से कम वर्तमान काल में राज्य अधिकाधिक परिमाण में गरीबी, भ्रष्टाचार, जनाधिक्य और संजातीय तथा नस्ली तनावों, पर्यावरण प्रदूषण आदि की चुनौतियों का सामना कर रहा है। इनके अलावा अंतर्राष्ट्रीय विभेदों आदि की समस्या तो है ही। राजनीतिक सिद्धान्त समाज के राजनीतिक जीवन की वर्तमान तथा भावी समस्याओं का अध्ययन करने और उन समस्याओं के समाधान को सुझाने का प्रयत्न करता है। डेविड हेल्डने कहा है कि राजनीतिक सिद्धान्त का कार्य अपनी जटिलताओं के कारण बहुत गुरु-गंभीर है, क्योंकि व्यवस्थित अध्ययन के अभाव में इस बात का खतरा रहता है कि राजनीति अज्ञान और स्वार्थी लोगों के हाथों में अपनी शक्ति की भूख मिटाने का साधन बनकर न रह जाए।
 
इस प्रकार यदि हमें सामाजार्थिक यथार्थ एवं आदर्शों तथा राजनीतिक दर्शन का ध्यान रखते हुए, राज्य के स्वरूप और प्रयोजन तथा शासन की समस्याओं पर व्यवस्थित ढंग से विचार करना है तो हमें समस्या के सैद्धांतिक अध्ययन का रास्ता अपनाना होगा। इस प्रकार राजनीतिक सिद्धान्त प्रासंगिक है। साथ ही व्यक्तिगत स्तर पर राजनीतिक सिद्धान्त का अध्ययन करने से हमें अपने अधिकारों तथा कर्त्तव्यों की जानकारी मिलती है और गरीबी, हिंसा, भ्रष्टाचार आदि सामाजार्थिक यथार्थों और समस्याओं को समझने में सहायता मिलती है। राजनीतिक सिद्धान्त इसलिए भी महत्त्वपूर्ण हैं कि विभिन्न राजनीतिक सिद्धान्तों को आधार बना कर ‘आगे बढ़ते हुए वह हमें समाज को बदलने के उपाय और दिशाएँ सुझा सकता है, ताकि आदर्श समाज स्थापित किया जा सके। मार्क्सवादी सिद्धान्त एक ऐसे सिद्धान्त का उदाहरण है जो न केवल दिशा सुझाता है बल्कि समतावादी समाज की स्थापना के लिए क्रांति की हिमायत करने की हद तक जाता है। यदि कोई राजनीतिक सिद्धान्त सही है तो वह आम लोगों तक संप्रेषित किया जा सकता है और तब वह समाज तथा मानव जाति को प्रगति के पथ पर ले जाने वाली प्रबल शक्ति बन सकता है।(by Rajasir Chouhan)
 
== राजनीतिक सिद्धान्त की महत्त्वपूर्ण धाराएँ==