"मिश्र": अवतरणों में अंतर

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===काशयव===
इस गौत्र के अंतर्गत मिथिला बाहमण आते है। इस गौत्र के लोगो का उपनाम मिश्रा होता है।ये बाह्यण बिहार के मधुबनी जिले, दरभंगा,बेनीपटी,रैइका आदि आसपास के क्षेत्रो मे रहते है।
 
18:11, 13 मार्च 2019 (UTC)~घृतकौशिक18:11, 13 मार्च 2019 (UTC)~
इस गोत्र के अन्तर्गत जन्मना विद्वान "कुशहरा वंश"
जिसको "सिद्ध वंश" के नाम से भी जाना जाता है,वह लोग आते हैं। यद्यपि इस वंश के लोगों का आविर्भाव गोरखपुर के समीप कुशहर गांव में हुआ, किन्तु अपनी विद्वत्ता के कारण ये सम्पूर्ण भारत में ही नहीं अपितु विश्व में भी इनकी गौरव गाथा गायी गई।
संलक्ष्यता के इसी दृष्टि में पंडित देवीदत्त मिश्र का उल्लेख करते है-
यह अथर्ववेद के मर्मज्ञ थे, जिन्होंने पन्नानरेश की नि:संतानता को अपने ज्ञान के प्रभाव से समाप्त कर उनके कुल को कुलदीपक दिया, जिसके परिणामस्वरूप नरेश ने इन्हें अत्यधिक मात्रा में जमीन एवं धन दिया।
महामुनि सिद्ध भी इसी वंश के है, जिनके ज्ञान एवं तप के प्रभाव से मां मंदाकिनी के जल से भी शुद्ध देसी घी की तरह पूरियां निकाली गई,और ज्वर को कम्बल में ठहरा कर पत्थर की सवारी करते हुए गर्वित राजा के गर्व को नष्ट किया।
कालान्तर में पंडित रामलीला उनके पुत्र बाबादीन, ईश्वरदीन परमेश्वरदीन आदि लोग उत्पन्न हुये जिन्हें कुशहरा मिश्र के नाम से जाना जाता है।
इनके अनेक निवासस्थान मानिकपुर वा कौशांबी में महेवाघाट के रानीपुर-हटवा इत्यादि स्थानों पर हैं।
 
==उल्लेखनीय लोग==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/मिश्र" से प्राप्त