"छंद": अवतरणों में अंतर
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[[संस्कृत]] वाङ्मय में सामान्यतः [[लय]] को बताने के लिये '''छन्द''' शब्द का प्रयोग किया गया है।<ref>{{cite book |last= Mukherjee|first= Sujit |authorlink= |author2= |editor= |others= |title= A Dictionary of Indian Literature: Beginnings-1850|origdate= origyear= |origmonth= |url= https://books.google.co.in/books?id=YCJrUfVtZxoC&lpg=PA76&dq=chhand%20sanskrit&pg=PA76#v=onepage&q=chhand%20sanskrit&f=false|format= गूगल पुस्तक |access-date= २९ दिसम्बर २०१४ |edition= |date= |year= |month= |publisher= |location= |language= अंग्रेज़ी |id= |doi = |pages= |chapter= |chapterurl= |quote = }}</ref>
विशिष्ट अर्थों या गीत में वर्णों की संख्या और स्थान से सम्बंधित नियमों को '''छ्न्द''' कहते हैं जिनसे काव्य में लय और रंजकता आती है। छोटी-बड़ी ध्वनियां, लघु-गुरु उच्चारणों के क्रमों में, मात्रा बताती हैं और जब किसी काव्य रचना में ये एक व्यवस्था के साथ सामंजस्य प्राप्त करती हैं तब उसे एक शास्त्रीय नाम दे दिया जाता हैh और लघु-गुरु मात्राओं के अनुसार वर्णों की यह व्यवस्था एक विशिष्ट नाम वाला छन्द कहलाने लगती है, जैसे [[चौपाई]], [[दोहा]], आर्या, इन्द्र्वज्रा, [[गायत्री|गायत्री छन्द]] इत्यादि। इस प्रकार की व्यवस्था में मात्रा अथवा वर्णों की संख्या, विराम, गति, लय तथा तुक आदि के नियमों को भी निर्धारित किया गया है जिनका पालन कवि को करना होता है। इस दूसरे अर्थ में यह अंग्रेजी के 'मीटर'<ref>{{cite book |last= Mukherjee|first= Sujit |authorlink= |author2= |editor= |others= |title= A Dictionary of Indian Literature: Beginnings-1850|origdate= origyear= |origmonth= |url= https://books.google.co.in/books?id=YCJrUfVtZxoC&lpg=PA76&dq=chhand%20sanskrit&pg=PA76#v=onepage&q=chhand%20sanskrit&f=false|format= गूगल पुस्तक |access-date= २९ दिसम्बर २०१४ |edition= |date= |year= |month= |publisher= |location= |language= अंग्रेज़ी |id= |doi = |pages= |chapter= |chapterurl= |quote = }}</ref>
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