"हिन्दू काल गणना": अवतरणों में अंतर

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(23). वर्तमान में, अट्ठाईसवां चतुर्युगी का द्वापर युग बीत चुका है तथा कलियुग का ५११९वा वर्ष प्रगतिशील है. कलियुग की कुल अवधि ४३२००0 वर्ष है.
 
परिकल्पना की दुनिया व वास्तविक दुनिया का पूर्ण मिलान ===
परिकल्पना की दुनिया में प्रचीन धर्म सभ्यता साम्राज्य और विज्ञान के सिध्दान्त है जिसमें विश्व निर्माण और अंत है तथा वास्तविक दुनिया का समय एक खरब है जिसमें लौह युग ताम्र युग रजत युग स्वर्ण युग है उनका मिलन इस प्रकार होता है ।
सबसे पहले हिन्दू जब कोई मनुष्य जन्म लेता है तो उसके परिवार धर्म संस्कृति के कारण उसे विश्व उत्पत्ति की कथा हिन्दू अनुसार लगाती है ।
मुस्लिम को अपने अनुसार क्रिश्चियन को अपने अनुसार उनके परिवार के पीढ़ी दर पीढ़ी अपने ही धर्म की कथा बताते है और वे पढते सुनते देखते है अपने कथा को कुछ लोग विज्ञान के सिध्दान्त को सही मानते है ।
 
परन्तु उनकी विचार धारा का कारण उनकी चेतना है उनके भीतर परम् सत्य से वास्तविक विश्व जिसमें भूत भविष्य वर्तमान है उसे जुड़ जाती है ।
 
तो वास्तविक विश्व की कहानी परिकल्पना की कहानी अलग इस लिये नहीं होती है क्योंकि जब विकास होता है अत्यधिक टेक्नोलाजी बढ जाती है तब लोग सुख सुविधा के कारण अल्पज्ञानी हो जाते है फिर वे अपने रूढ़ीवादी विचारधारा को ही विश्व की उत्पत्ति अंत मानते है फिर रूढ़ीवादी से सम्पूर्ण मानव समाज फिर टेक्नालॉजी में उन्नत हो जाता है फिर वही कहनी सुनते है लोग जो उनके धर्म संस्कृति की होती है मनुष्य का जन्म होता है और मृत्यु भी तो वह विश्व की उत्पत्ति व अंत की परिकल्पना को सच मानता है जबकी यहां विश्व कभी उत्पन्न नही हुआ ना खत्म होगा यहां एक खरब वर्षों का समय चक्र में गति करता है कहा जाऐ तो विश्व पुनः आज की ही जिन्दगी एक खरब वर्षों पश्चात् आऐगी ।
रूढ़ीवादी समय लोग खेती किसनी जंगलों मे अधिक रहते है व अशिक्षित रहते है फिर वे टेक्नालॉजी में चले जाते है इसलिए वास्तविक विश्व में कभी उनका रहस्य ज्ञात नहीं होता है ।
जैसे वास्तविक विश्व में जो कैलेंडर अधिक प्रचलित है वहां अग्रेजो की है जो उनके शासन के कारण फैला आने वाले वर्षों में हिन्दू लोग विश्व में शासन करेगा तब विक्रमादित्य कैलेंडर माने जाऐगी फिर कभी मुस्लिम फिर बौध्द इनके कैलेंडर साम्रज्य समय समय पर विश्व में मान्य व इनकी भाषा अंतराष्ट्रीय स्तर की होती है और वास्तविक मनुष्यों का इतिहास परिकल्पना की दुनिया के कहनियो के कारण अस्तित्व में नहीं रहती है और प्रकृति उनके इमारतों को पूरी तरहां से खत्म कर देती है परन्तु परिकल्पना के धर्मो सभ्यता व साम्राज्य के कथा लोगों में सदैव प्रचलित रहते है और इनके इमारत लोगों व प्रकृति के द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से संरक्षित रहते है ।
जैसे विश्व संकरक्षित स्थान world heritage place ये मानव समाज स्वतः ही उनकी रक्षा करते है रूढ़ीवादी समय वन पशुओ की संख्या अधिक हो जाती है और टेक्नोलॉज़ी समय वन पशुओ की संख्या कम हो जाती है ।
 
== समय ==