"अवचेतन": अवतरणों में अंतर

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{{मनोविज्ञान-आधार}}
जिस भी पुरूष की अवचेतन मन जागृत होती है उस अवचेतन मन का ज्ञान की ओर लोग प्रभावित होते है तथा एक संगठन का निर्माण होता है ।
अवचेतन मन जागृत ज्ञान के प्रभाव से जो संगठन बनाता है उसका वास्तविक उपयोग भविष्य में जिस भी पुरूष की अवचेतन मन जागृत होती है उसे बताते के लिए होती है की पहले भी बहुत लोगों की चेतना जागृत हुई है ।
अन्यथा वहां अपने अनंत ज्ञान के कारण स्वयं को ही परमात्मा समझ लेगा और विश्व में स्वयं को परमात्मा या बुध्द सिध्द कर देगा ।
धर्म संगठन के प्रवचन के सत्संग मे वास्तविक ज्ञान को घुमा फिरकर अत्यधिक समय तक खिंचा जाता है वरना वास्तविक ज्ञान तो मात्र पांच दस मिनट का होता है ।
जैसे परमात्मा क्या है ___ मनुष्य की चेतना में जो सर्वशक्तिमान स्वरूप है वही परमात्मा है हिन्दू के लिए शिव विष्णु मुस्लिम के आल्लाह इसाई के लिए god father है
परन्तु इसे सत्संग में लोगों के भींड देखकर व उन्हें ये ज्ञान समझ ना आकर बोलकर कोई तुम्हीं ही परमात्मा हो या ये विश्व परमात्मा है या फिर जो दुनिया बनाया लोगो को बनाया जो पाप पुन्य का हिसाब लेता है कई वाक्य कहते है ।
आत्मा क्या है प्राण शक्ति ही आत्मा है जो पूरे शरीर में एक समान व्यप्त है जिसे महसूस किया जा सकता है परन्तु लोगों को समझ में ना आने के कारण उसे कई घंटो तक सत्संग में समझाया जाता है ।
विश्व कितना विशाल है स्वर्ग नरक है पृथ्वी के बाहर विश्व है ही नहीं स्वर्ग नरक एक कल्पना है परन्तु लोगों को विश्वास नहीं होगा इसलिए स्वर्ग नरक होते है व विश्व अनंत है ऐसे अनगिनत पृथ्वी है कहा जाता है ।
सत्संग में वास्तविक ज्ञान लोगों को घुमाफिरक बताया जाता है क्योंकि वास्तविक ज्ञान मनुष्य को समझ में ही नहीं आता है ।
तथा चेतना जागृत पुरूषों को अच्छी तरह से ज्ञात रहता है कि लोग उनके पास आते है तो समय बीतने चाहिए इसलिए वे लम्बे समय तक वास्तविक ज्ञान को घुमा फिरकर अत्याधिक समय तक खिंचाते है ।