"मस्तिष्क": अवतरणों में अंतर

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मस्तिष्क (Brain), [[खोपड़ी]] (Skull) में स्थित है। यह [[चेतना]] (consciousness) और [[स्मृति]] (memory) का स्थान है। सभी ज्ञानेंद्रियों - नेत्र, कर्ण, नासा, जिह्रा तथा त्वचा - से आवेग यहीं पर आते हैं, जिनको समझना अर्थात् ज्ञान प्राप्त करना मस्तिष्क का काम्र है। पेशियों के संकुचन से गति करवाने के लिये आवेगों को तंत्रिकासूत्रों द्वारा भेजने तथा उन क्रियाओं का नियमन करने के मुख्य केंद्र मस्तिष्क में हैं, यद्यपि ये क्रियाएँ मेरूरज्जु में स्थित भिन्न केन्द्रो से होती रहती हैं। अनुभव से प्राप्त हुए ज्ञान को सग्रह करने, विचारने तथा विचार करके निष्कर्ष निकालने का काम भी इसी अंग का है।
 
विश्व के सम्पूर्ण मनुष्यों के मनासिक व मनःस्थिति
 
मनासिकता में === विवेक व बुद्धि के सात स्तर रहते है जिसके कारण उनकी सम्पत्ति व प्रसिध्द की स्थिति बनाती है समाज में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की राष्ट्रीय स्तर की क्षेत्रीय स्तर की निवास स्थान स्तर की परिवारिक स्तर की बुद्धि व विवेक बढ रही है या फिर अविकसित भी होती है । इसी के कारण मनुष्य VVIP VIP 1ST 2ND 3RD 4TH CLASS की सम्पत्ति व प्रसिध्द होती है ।
 
मनासिकता के अंतर्गत चेतना होती है जिसमें धर्म व संस्कृति की मान्यता होती है इसी के अंतर्गत लोग इस्लाम हिन्दू सिख जैन इसाई बौध्द व अपने क्षेत्रीय संस्कृति व धर्मो के अनुयायी होते है ।
विश्व का हर मनुष्य के बुध्दि व विवेक के स्तर में जन्मों के अनुसार उतर चढ़ाव होते है ।
 
मन:स्थिति === इसके अंतर्गत मनुष्य के स्वभाव व्यवहार प्रवृत्ति होते है मनुष्यों के मनःस्थिति दुष्ट सज्जन व सामान्य प्रकार की होती है इसी कारण विश्व में अच्छे बुरे व सामान्य कर्म है मनः स्थिति के कारण ही मनुष्यों के उम्र के अनुसार इच्छा उत्पन्न होती है जैसे बाल्यकाल किशोरावस्था युवावस्था पौढ़ वृध्द अवस्था की भिन्न भिन्न भाव और इच्छा होती है ।
 
परन्तु मनुष्य का संसार में जिस राष्ट्र क्षेत्र परिवार में जन्म होता उस स्थान के विचारधारा व समाजिक जीवन से भी प्रभावित होता है ।
वर्तमान के आधुनिकीकरण व समाजिक जीवन से भी मनुष्यों के सोच विचार में अत्याधिक प्रभाव पड़ता है जैसे महानगरीय नगरीय ग्रमीण लोगों के बुध्दि विवेक व इच्छाओं में भिन्नता होती है ।
इसी में रूढ़िवादी आधुनिक परिवेश व मिला जुला मनः व मनासिक स्थिति होती है ।
वर्तमान में रजत युग चल रहा है तो मनुष्यों की मनः मनासिक स्थिति इसे पहले ताम्र युग जो 19वीं व 18 17 वीं मे थी जब लोग अत्याधिक धर्म संस्कृति का जीवन जीते है उसे पहले 17 16 15 वीं मे लौह युग अत्याधिक अंधविश्वास होते है मनुष्य है जो आने वाला है स्वर्ण युग जो कई बार बीता है उसमें लोग अत्याधिक आधुनिक जीवन जीते है ।
मनुष्यों की मनः स्थिति व मनासिकता उनके शिक्षा का स्तर उनके विषय व समाज में उनके कार्य क्षेत्र जैसे अधिकारी राजनेता कलाकार व्यापारी कर्मचारी व विभागो मजदूरी किसान के कारण भी होती है ।
मनः स्थिति व मनासिकता के कारण ही मनुष्य का जीवन संचालित है इसे बदलाव स्वतः होता है इसलिए कोई सुख पूरक जीवनयापन करता है कोई दुखी होकर ।
 
== मस्तिष्क की रचना ==