"पुनर्जन्म": अवतरणों में अंतर

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[[श्रेणी:भारतीय दर्शन]]
विश्व का हर मनुष्य अपने जन्मों में सात स्तर की बुद्धि सम्पन्नता व प्रसिध्द प्राप्त करता है ।
VVIP::विश्व स्तर का जीवन ____ सभी मनुष्य असंख्य बार विश्व स्तर के जीवन जीये है जियेगे।
VIP::राष्ट्र स्तर का जीवन ____ जो मनुष्य राष्ट्र में सम्पन्न व प्रसिध्द रहता है ।
1st::क्षेत्र स्तर का जीवन ___ जो राज्य स्तर का जीवन जीता है ।
2nd::शहर /ग्राम ____ जो मनुष्य अपने शहर गांव में सम्पन्न व प्रसिध्द रहता है ।
3rd:: जो मनुष्य अपने कार्य क्षेत्र व घर परिवार तक सिमित रहता है ।
4th:: जो मनुष्य अपने लिए भोजन वस्त्र गृह के प्राप्ति के लिए जीवनभर परिश्रम करता है ।
NO CLASS :: सामान्य व सज्जन मनुष्य वन पहाड़ी समुद्र क्षेत्र में जो संस्कृति है उसमे जन्म आवश्य लेता है परन्तु दृष्टि मनुष्य भिखारी बनाता है ।
मनुष्य सात जन्मों में उच्च से निम्न जीवन की ओर बढाता उतरता रहता है ।
कोई आने वाले जन्मों में उच्च स्तर का जीवन जियेगा निम्न स्तर का उसके वर्तमान जीवन का विश्लेषण कर बाताया जा सकता है जो मनुष्य अपने जीवन के अंतिम स्थिति में अधिक सम्पन्न हुआ वहां उच्च स्तर का जीवन जियेगा और जो अंतिम स्थिति में दरिद्र बनना वहां निम्न स्तर का जीन जियेगा आने वाले जन्मों में।
अगर माता पिता भाई बहन पुत्र पुत्री दोस्तों से अत्यधिक प्रेम और स्नेह है तो वे आने वाले जन्मों में भी वही रिश्ता बनेगा परन्तु ना पसंद है तो रिश्तेदार दोस्त बदल जाऐगे।
पत्नी पति का सम्बन्ध एक दो तीन चार पांच छैः सात जन्मों का हो सकता है परन्तु विश्व में करोड़ों स्त्री पुरूष हर जन्म में एक दूसरे के पति पत्नी बनाते है ।
=== जन्मों के अनुसार लोगों का शारीरिक रूप रंग सुन्दरता बढती व कम होती जाती है ।
 
----दुष्ट सज्जन व सामान्य मनः स्थिति वालों का जन्म के सात स्तर एक समान है ।
 
_____ मनुष्यों के पाप के कारण विकलांग अशांति माहौल में बेरोजगार अविवाहित निसंतान और पुन्य के कारण शांत महौल व विशेष गुणों को लेकर जन्म लेते है ।
_____ प्रचीन धर्मो के स्वर्ग व नरक के मिथ्क परिकल्पना है वास्तव में मृत्यु हुई तत्काल जन्म हुआ अपने कर्मो के अनुसार।
_____ मनुष्य अपने सात व अन्यों के सात जन्मों को समझ गया तो उसके अरबों जन्मों को समझ गया ।