"नीति": अवतरणों में अंतर

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उचित समय और उचित स्थान पर उचित कार्य करने की कला को '''नीति''' (Policy) कहते हैं। नीति, सोचसमझकर बनाये गये सिद्धान्तों की प्रणाली है जो उचित निर्णय लेने और सम्यक परिणाम पाने में मदद करती है। नीति में अभिप्राय का स्पष्ट उल्लेख होता है। नीति को एक [[प्रक्रिया]] (procedure) या [[नयाचार]] ( नय+आचार / protocol) की तरह लागू किया जाता है।
 
 
 
प्रज्ञा ___ मनुष्य की आत्मा और प्रकृति इस विश्व में स्वतः ही मनुष्य को जिस कर्म करने के लिए परिस्थिति घटनाओं गतिविधियों का निर्माण करते है उसे प्रज्ञा कहते है इसमें मनुष्य की आत्मा दुष्ट कर्म करने के लिए पवित्र कर्म करने के लिए सामान्य कर्म करने के लिए ह्रदय को प्रेरित कर भाव इच्छाओं को प्रगट करती है जिसे ह्रदय मस्तिष्क को संकेत देता है जिसे मस्तिष्क आसपास के माहौल को जानकर विचार विमर्श कर उस कार्य को इन्द्रियों को करने के लिए प्रेरित करता है ।
प्रज्ञा का अर्थात है अंतर्मन से किसी भी कार्य को करने के लिए निर्देश दिया जाता है दिल और दिमाग को । जैसे किसे कैसा सम्बन्ध रखना है किसे विवाह करना है जीवन में क्या लक्ष्य निर्धारित करना है स्वयं का जीवनशैली कैसे होना चाहिए परिवार समाज देश दुनिया के लिए क्या करना है ।
प्रज्ञा ही निर्धारित करती है की मनुष्य को किस उम्र में कितना ज्ञान होना चाहिए और कौन से इच्छा आनी चाहिए और कौन से कर्म करना है यही मनुष्यों के जन्मों में गरीबी अमीरी तुच्छ श्रेष्ठ पापी पुन्य सामाजिक और असमाजिक मनुष्य बनाने के लिए प्रेरित करता है इसी प्रज्ञा के कारण कोई दुराचारि और कोई महात्मा बनाता है । इसी प्रज्ञा के कारण अधिकांश मनुष्य सामान्य जीवनयापन करते है ।
भाग्य ___ किसी भी प्रकार का सामाज में बिना शारीरिक और मानसिक परिश्रम करे धन दौलत नाम प्रसिध्द प्रतिष्ठा प्राप्त हो समाजिक परिस्थिति घटनाओं गतिविधियों के कारण भाग्य है सम्पन्न और दरिद्र परिवार में जन्म लेना भी भाग्य है ।
दुर्भाग्य __ कितना भी शारीरिक और मानसिक परिश्रम करने से भी जीवन में सफलता नहीं मिलती है ना पैसा नाम प्रसिध्द नहीं मिलती है कभी कभी किसी को आर्थिक शारीरिक भावानात्म मानसिक हानि पीढ़ा होती है समाज के लोगों के कारण अप्रत्यक्ष गतिविधि परिस्थिति घटनाओं दुर्घटनाओं से तो वहां दुर्भाग्य है ।
विधि का विधान __ प्रकृति के लिए सूर्य चन्द्र ग्रह नक्षत्र के निकले और डूब जाने की गतिविधि ऋतु मौसम वातावरण का बदलते रहना दिन रात का होना उसी प्रकार मनुष्यों के लिए विवाह संतान जन्म मृत्यु शारीरिक रूप रंग निर्धारित है इसे विधि का विधान कहते है ।
कहा जाऐ प्रज्ञा और विधि के विधान में बहुत समाताऐ है विधि के विधान का अर्थात है जो मनुष्य समाज किसी एक मनुष्य से कैसा सम्बन्ध कैसा व्यवहार करती है उसे विधि का विधान कहा जा सकता है और स्वयं मानव समाज में किसे कैसा व्यवहार व सम्बन्ध रखना है यहां प्रज्ञा है ।
जो प्रकृति व मानवीय समाज का स्वयं के जीवन में प्रभाव से जो परिवर्तन आए जीवन में विधि का विधान है और जो स्वयं के द्वारा विश्व के मानव समाज व प्रकृति पर जो प्रभाव से परिवर्तन होए वहां प्रज्ञा है ।
निति नियम _____ सूर्य चन्द्र तारे ग्रह और नक्षत्र अपने कक्षा में ही गति करना निश्चित समय में दिन रात ऋतु मौसम का बदलना । मनुष्य के उम्र धर्म संस्कृति देश के अनुसार सोच विचार होना । मनुष्य के प्रज्ञा के अनुसार स्वभाव व्यवहार प्रवृत्ति और इच्छाओं का होना निति नियम है ।
 
==भारतीय साहित्य में नीति काव्य का उद्भव==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/नीति" से प्राप्त