"थपलियाल": अवतरणों में अंतर
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थपलियाल जाति के लोग गढ़वाल कुमाऊँ और नेपाल में मौजूद है । इनकी शुरूवात 8वीं सदी में गढ़वाल के राजा कनकपाल के गढ़वाल आगमन के साथ हुई । प्रारम्भ में ये गौड़ ब्रह्मण थे राजा कनकपाल के साथ राजपुरोहित रहते हुए ये सती जाति के नाम से जाने जाने लगे राजा द्वारा इनको चाँद पूर गढ़ी में थापली गाँव की जागीर दी गयी थापली गाँव से ये थपलियाल कहलाये जाने लगे । थपलियाल वंशावली के हिसाब से इनके पूर्वज गोबर सती से इनकी शुरूवात हुई । थापली गाँव वर्तमान में उत्तराखण्ड के चमोली जिले के कर्णप्रयाग विकासखण्ड की पट्टी बिचली चाँदपूर पोस्ट ऑफीस नौली में पड़ता है थपलियालों की छठी पीढ़ी में दिलीप सती के तीन पुत्र हुए जिनका नाम जय चंद मयचंद और जयपाल था इनमें से जयचंद के बेटे देवदत के वंशज वर्तमान थापली वाले है अन्य दो भाइयों में एक भाई कांडा सिमतौली बस गया और दूसरा भाई घंनसारी कपीटी जाकर बस गया इन्हीं दोनों भाइयों के वंशज समूचे उत्तराखण्ड में फैले हुए है
11पीढ़ीयों के बारे में पुराने ज़माने के जागर गायक और भाटों से एकत्र जानकारी के आधार पर केवल एक एक नाम उपलब्ध है 12वीं पीढ़ी में चार नाम रथ जी वासुदेव जी देव जी व रूद्र जी का जिक्र मिलता है 13वीं पीढ़ी के 12नामों से आगे की वंशावली के हिसाब से अब तक 170गाँव में थपलियाल रहते है
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