"मल्होत्रा": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: Emoji मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
छो Reverted 1 edit by Kaushal nand kishor (talk) to last revision by स. (SWMT)
टैग: बदला गया किए हुए कार्य को पूर्ववत करना
पंक्ति 1:
गोपनीयताडेस्कटॉप'''मल्होत्रा''' या '''मेहयोत्रा''' [[खत्री]] गोत्र/उपजाति है। इसका प्रयोग उपनाम के रूप में होता है। इस उपनाम वाले उल्लेखनीय लोगों की सूची जिनका इस जाति से सम्बद्ध हो भी सकता और नहीं भी, निम्नलिखित है:-
'''मल्होत्रा''' या '''मेहयोत्रा''' मुख्य मेनू खोलें
विकिपीडिया खोजें
4
चोपड़ा
किसी अन्य भाषा में पढ़ें
 
इस पृष्ठ का ध्यान रखें
संपादित करें
चोपड़ा पंजाबी खत्री उपजाति या गोत्र है। इसका प्रयोग उपनाम के रूप में होता है। ये खत्री जाति की एक उप जाति है ! और कौशल गौत्र के अंतर्गत आती है कौशल गौत्र का परिचय कौशल गौत्र के कुल देवता ,***,बीरा जी है । कौशल गौत्र की कुलदेवी ***शिवाय माता है । वर्तमान में कुलगुरु गद्दी नशीन***डॉ नन्दकिशोर कौशल 💐💐💐कौशल ऋषि एवं कौशल गौत्र 💐💐💐 कुछ खत्री उपजातियों एवं कुछ ब्राह्मणों की उपजातियों के गोत्र ऋषि 'कौशल' हैं. वे पंजाब के सारस्वत ब्राह्मणों के भी गोत्र ऋषि हैं. एवं कई खत्रियों की उपजातियों के भी गौत्र ऋषि हैं । ये भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र हिरण्याभ कौशल ऋषि के वंशज हैं. ऋषि कौशल के शिष्य याज्ञवल्क्य ऋषि थे। 👍👍👍कौशल गौत्र की दो शाखा👌👌👌 1 कुश कौशल 2 लव कौशल 👌कुश कौशल:- 💐 कौशल खत्री💐 :- मलहोत्रा , मेहरोत्रा , मेहरा , मेहता , मरवाहा , मग्गो , माकन , (माकिन), ओबराय , वोहरा, वासन , कुरीछ , कुंद्रा , देव धुस्सा , केसर , कवात्रा , खोसला , सरीन , कपुर , खन्ना , चोपड़ा , सहगल , कत्याल , त्रेहन , बहल , भल्ला , जसवाल , ककड़ , बेदी , रेखी आदि ओर भी उपजातियां हैं कौशल गौत्र के अंतर्गत आती हैं । लव कौशल :- 💐 कौशल ब्राह्मण💐 :- लखनपाल , लबशा , संगर , झांजी, संदल , हँस , मल्हनहंस , आदि सारस्वत ब्राह्मणों की बहुत सी उपजातियां हैं जो कौशल गौत्र के अंतर्गत आती हैं । ओर भी बहुत उपजाति हैं जिनका गौत्र कौशल हैं। ये उनकी प्राचीन गद्दी हैं । कुलगुरु गद्दी का नाम श्री बीरा जी है ! जो की पाकिस्तान के जिला मुजफ्फरगढ़ तहसील कोटअदू गाँव एहसान पुर में थी । कुल गुरु परम्परा इस प्रकार है! कौशल गोत्र के कुल गुरु और गद्दी गुरु ब्रेह्मलिन १००८ श्री ख़ुशी राम जी मलनहंस कौशल गोत्रीय ! इन से पहले गुरु पूर्वजों का नाम पता नही चल पाया इसके बाद गुरू ब्रह्म लीन श्री 108 निर्मलदास जी मलनहंस कौशल गोत्रीय उसके उपरांत ब्रह्म लीन स्वामी श्री श्री 108 तारा चन्द जी मलनहंस कौशल गोत्रीय ब्रह्म लीन ! स्वामी श्रीश्री १०८ मंघा लाल जी मलनहंस कौशल गोत्रीय ! एवम् ब्रह्म लीन स्वामी श्री रोशन लाल जी मलनहंस कौशल गोत्रिय ब्रह्म लीन पंडित करम चन्द जी मलनहंस कौशल गोत्रिय, ब्रह्मलीन श्री गोकल चंद जी मलनहंस कौशल गोत्रीय ! इस समय इस परिवार में अब नन्द किशोर कौशल गद्दी का परचार और प्रसार कर रहे हैं। जो भी पंजाबी ब्राह्मण एवं क्षत्रिय कौशल गोत्र के हैं। ये उनकी गद्दी है ! अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे :- डॉ.नन्द किशोर कौशल निवास स्थान :-- 229 /7 नजदीक पुराना पंजाब खादी आश्रम पटेल नगर तहसील कैंप पानीपत ( हरियाणा ) फोन न:- 8168038822 ,7206117775 🌹आपका सुखद भविष्य मेरा लक्ष्य🌹 🙏जय श्री बीरा जी 💐 जय शिवाय माता💐 कुलगुरु / कुलदेवता या देवी सम्बंधित व्यक्ति के पारिवारिक संस्कारों के प्रति संवेदनशील होते हैं और पूजा पद्धति ,उलटफेर ,विधर्मीय क्रियाओं अथवा पूजाओं से रुष्ट हो सकते हैं ,सामान्यतया इनकी पूजा वर्ष में एक बार अथवा दो बार निश्चित समय पर होती है ,यह परिवार के अनुसार भिन्न समय होता है और भिन्न पद्धति होती है ,,शादी-विवाह-संतानोत्पत्ति आदि होने पर इन्हें विशिष्ट पूजाएँ भी दी जाती हैं ,,,यदि यह सब बंद हो जाए तो या तो यह नाराज होते हैं या कोई मतलब न रख मूकदर्शक हो जाते हैं और परिवार बिना किसी सुरक्षा आवरण के पारलौकिक शक्तियों के लिए खुल जाता है ,परिवार में विभिन्न तरह की परेशानियां शुरू हो जाती हैं ,,अतः प्रत्येक व्यक्ति और परिवार को अपने कुल देवता या देवी को जानना चाहिए तथा यथायोग्य उन्हें पूजा प्रदान करनी चाहिए, जिससे परिवार की सुरक्षा -उन्नति होती रहे ।हिन्दू पारिवारिक आराध्य व्यवस्था में कुलगुरु /कुल देवता/कुलदेवी का स्थान सदैव से रहा है ,,प्रत्येक हिन्दू परिवार किसी न किसी ऋषि के वंशज हैं जिनसे उनके गोत्र का पता चलता है ,बाद में कर्मानुसार इनका विभाजन वर्णों में हो गया विभिन्न कर्म करने के लिए ,जो बाद में उनकी विशिष्टता बन गया और जाति कहा जाने लगा । हर जाति वर्ग , किसी न किसी ऋषि की संतान है और उन मूल ऋषि से उत्पन्न संतान के लिए वे ऋषि या ऋषि पत्नी कुलदेव / कुलदेवी के रूप में पूज्य हैं । पूर्व के हमारे कुलों अर्थात पूर्वजों के खानदान के वरिष्ठों ने अपने लिए उपयुक्त कुल देवता अथवा कुलदेवी का चुनाव कर उन्हें पूजित करना शुरू किया था ,ताकि एक आध्यात्मिक और पारलौकिक शक्ति कुलों की रक्षा करती रहे जिससे उनकी नकारात्मक शक्तियों/ऊर्जाओं और वायव्य बाधाओं से रक्षा होती रहे तथा वे निर्विघ्न अपने कर्म पथ पर अग्रसर रह उन्नति करते रहें |समय क्रम में परिवारों के एक दुसरे स्थानों पर स्थानांतरित होने ,धर्म परिवर्तन करने ,आक्रान्ताओं के भय से विस्थापित होने ,जानकार व्यक्ति के असमय मृत होने ,संस्कारों के क्षय होने ,विजातीयता पनपने ,इनके पीछे के कारण को न समझ पाने आदि के कारण बहुत से परिवार अपने कुलगुरु /कुल देवता /देवी को भूल गए अथवा उन्हें मालूम ही नहीं रहा की उनके कुल देवता /देवी कौन हैं या किस प्रकार उनकी पूजा की जाती है ,इनमें पीढ़ियों से शहरों में रहने वाले परिवार अधिक हैं ,कुछ स्वयंभू आधुनिक मानने वाले और हर बात में वैज्ञानिकता खोजने वालों ने भी अपने ज्ञान के गर्व में अथवा अपनी वर्त्तमान अच्छी स्थिति के गर्व में इन्हें छोड़ दिया या इन पर ध्यान नहीं दिया | कुलगुरु / कुल देवता /देवी की पूजा छोड़ने के बाद कुछ वर्षों तक तो कोई ख़ास अंतर नहीं समझ में आता ,किन्तु उसके बाद जब सुरक्षा चक्र हटता है तो परिवार में दुर्घटनाओं ,नकारात्मक ऊर्जा ,वायव्य बाधाओं का बेरोक-टोक प्रवेश शुरू हो जाता है ,उन्नति रुकने लगती है ,पीढ़िया अपेक्षित उन्नति नहीं कर पाती ,संस्कारों का क्षय ,नैतिक पतन ,कलह, उपद्रव ,अशांति शुरू हो जाती हैं ,व्यक्ति कारण खोजने का प्रयास करता है, कारण जल्दी नहीं पता चलता क्योकि व्यक्ति की ग्रह स्थितियों से इनका बहुत मतलब नहीं होता है ,अतः ज्योतिष आदि से इन्हें पकड़ना मुश्किल होता है ,भाग्य कुछ कहता है और व्यक्ति के साथ कुछ और घटता है| कुल देवता या देवी हमारे वह सुरक्षा आवरण हैं जो किसी भी बाहरी बाधा ,नकारात्मक ऊर्जा के परिवार में अथवा व्यक्ति पर प्रवेश से पहले सर्वप्रथम उससे संघर्ष करते हैं और उसे रोकते हैं ,यह पारिवारिक संस्कारों और नैतिक आचरण के प्रति भी समय समय पर सचेत करते रहते हैं ,यही किसी भी ईष्ट को दी जाने वाली पूजा को ईष्ट तक पहुचाते हैं ,,यदि इन्हें पूजा नहीं मिल रही होती है तो यह नाराज भी हो सकते हैं और निर्लिप्त भी हो सकते हैं ,,ऐसे में आप किसी भी ईष्ट की आराधना करे वह उस ईष्ट तक नहीं पहुँचता ,क्योकि सेतु कार्य करना बंद कर देता है ,,बाहरी बाधाये ,अभिचार आदि ,नकारात्मक ऊर्जा बिना बाधा व्यक्ति तक पहुचने लगती है ,,कभी कभी व्यक्ति या परिवारों द्वारा दी जा रही ईष्ट की पूजा कोई अन्य बाहरी वायव्य शक्ति लेने लगती है ,अर्थात पूजा न ईष्ट तक जाती है न उसका लाभ मिलता है|
 
=====================================================================================================================
संपादित करें
गुरुदेव की भक्ति और बीरा जी महंत श्री ख़ुशी राम जी मल्हनहंस कौशल गोत्रीय पाकिस्तान के जिला मुजफरगढ़ की तहसील कोट अद्दु के अंतर्गत गावं एहसान पुर में एक साधारण ब्राह्मण परिवार में रहते थे ! जो की हनुमान जी के परमभक्त एवं विद्वान् ज्योतिषी थे ! जिनके पास दूर दूर से लोग अपनी समस्याओ के समाधान के लिए आते थे ! उनके अनुयायिओं में हिन्दू ,मुसलमान ,अंग्रेज आदि काफी संख्या में थे ! जो की हर समय दीन दुखी लोगो की सेवा में लगे रहते थे ! महन्त जी कभी किसी से कोई भेंट या दान दक्षिणा आदि स्वीकार नहीं करते थे ,वह अपने परिवार की आजीविका के लिए खेती करते थे व् प्रभु भक्ति में लीन रहते थे ! श्री हनुमान जी को महन्त जी अपना इष्टदेव मानते थे , वे हमेशा जय जय सीता राम, जय जय हनुमान ! इस शब्द को हमेशा गाते रहते थे ! नाम जप करना व्रत, उपवास, तपस्या करना ये ही उनका जीवन था ! वे बचपन से ही बहुत धीर एवं गंभीर थे ! एक बार की बात है महन्त जी खेती करके रात के समय घर की और अकेले लौट रहे थे ,तो उनको अपने पीछे पीछे किसी के चलने की आहट सुनाई दी ,उन्होंने पीछे मुड़ कर देखा तो कोई नही था ! महन्त जी इसे अपना भ्रम समझ कर जय जय सीता राम ,जय जय हनुमान गाते हुए घर लौट आये ! अगले दिन फिर से ये ही घटना हुईं और अब महंत जी कुछ परेशान हुए पर प्रभु के आसरे छोड़ कर नामजप करते हुए सो गये ! अब तीसरे दिन फिर से अपने पीछे किसी के चलने की आवाज़ आई और अब आवाज़ बहुत तेज़ और स्पष्ट सुनाई दे रही थी अब भ्रम जैसी कोई बात नही थी , महंत जी को कुछ समझ नही आ रह था, चारो और ध्यान से देखा पर कुछ दिखाई नहीं दिया ! अब महन्त जी ने आवाज़ लगाई की कौन है बीरा (भाई ) तो पलट कर आवाज़ आई की जिसे तू हर रोज़ बुलाता है ! मै तेरी सेवा से बहुत प्रसन्न हूँ और जो तुम नाम धुन लगाते हो न **जय जय सीता राम जय जय हनुमान **ये सुनने के लिए ही तेरे साथ साथ चलता हूँ ! अब महंत जी को समझते देर न लेगी और उन्होंने दंडवत प्रणाम किया और सामने आकर दर्शन देने के लिए विनती की, तो हनुमान जी बोले कलयुग में हमारे इस रूप का दर्शन कोई नही कर सकता तुम मेरे ब्राह्मण स्वरूप का ध्यान करो उसी स्वरूप में दर्शन देने का वचन दे कर चले गये ! महन्त जी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा ! अब तो महन्त जी और अधिक भक्ति में लीन रहने लगे और दिन रात नाम धुन में मस्त रहने लगे ! और श्री हनुमान जी उनको रात्रि में स्वप्न में दर्शन देने लगे लेकिन महन्त ख़ुशी राम जी की दर्शन की लालसा शांत नही हो रही थी और उन्होंने श्री हनुमान जी से प्रत्यक्ष दर्शन देने के लिए विनती की, कहते हैं न भगवान् भक्त के अधीन होता हैं ! भगवान् ने स्वयं ही कहा है ! अहं भक्त पराधीनम, इस प्रकार भक्ति के प्रवाह में बहते हुए कुछ काल बाद उनके मन में ब्राह्मण भोजन करवाने की इच्छा जाग्रत हुई और उन्होंने ब्राह्मण भोज करवाया और दूर दूर से ब्राह्मण पधारे ! और प्रसन्न चित होकर भक्ति का वरदान दिया ! रात्रि में महन्त जी के स्वप्न में श्री हनुमान ने दर्शन दिए और कहा की खुशीराम की तुम्हारे भाव और भक्ति से ओतप्रोत यह भोज बहुत स्वादिष्ट था ! यह सुनकर खुशीराम जी चकित रह गये और वे स्वप्न से बहर आ गये ! प्रभु को न पहचानने के कारण अश्रुपद करने लगे ! अब महन्त जी दिन रात प्रभु प्रेम में मगन रहते एवं प्रभु को न पहचानने के दुःख में अविरल रोते रहते ! एक वर्ष पश्चात् जब फसल पक कर तैयार हुई तो फिर से ब्राह्मण भोज करवाया ! अब की बार खुशीराम जी पूर्ण रूप से सचेत थे। ब्राह्मण भोजन आरंभ हुआ दूर दूर से ब्राह्मण आ रहे थे, महन्त जी प्रेम भाव से सभी को भोजन करवा रहे थे ओर सभी में अपने प्रभु जी को खोज रहे थे ।भोजन समाप्त हुआ दक्षिणा आदि दे कर सभी ब्राह्मणों को विदा किया । पर महन्त जी इस सोच में में थे कि आज हनुमान जी भोजन करने नहीं आये । तभी एक ब्राह्मण आया और कहा कि आज पूर्णिमा का मेरा व्रत है मुझे फलाहार करना हैं । खुशी राम जी ने उनको फल दूध आदि देकर विदा किया । ओर मंदिर में आकर हनुमान जी के स्वरूप के सामने बैठ कर भोज पर ना आने की ओर दर्शन ना देने की शिकायत करते हुए रोने लगे और अश्रु धारा बहाते बहाते सो गए । रात्रि में फिर स्वप्न हुआ और हनुमान जी जी ने कहा कि हमारा भोग तो सभी धरते हैं ,पर भक्त से माँग कर खाने का आनंद कुछ ओर होता है । निद्रा भंग हुई ओर महन्त जी अपने आप पर ग्लानि हुई कि मैं प्रभु को पहचान ना सका । और भजन में लीन हो गए । अब दिन पर दिन महंत जी सन्सार से विमुख होने लगे ओर प्रभु से मिलन की तृष्णा तीव्र होने लगी । दिन रात भजन सिमरन धीरे धीरे खाना पीना छूटने लगा ओर महन्त जी बहुत कमजोर हो गए शरीर की सुध बुध खो गयी ,उनकी पत्नी ओर पुत्र तारा चन्द जी तथा अन्य शिष्य सभी उनकी हालत देखकर चिंतित रहने लगे की गुरुवर अब संसार का त्याग करने की ओर हैं ,काल चक्र चलते हुए एक वर्ष बीत गया और चैत्र मास की पूर्णिमा आ गयी, ब्राह्मण भोजन के वार्षिक भंडारे का समय आ गया, महंत जी की हालत बहुत खराब हो चुकी थी वे चारपाई पर पड़े भजन में लीन थे उनके पुत्र ताराचन्द जी और अन्य शिष्यों ने ब्राह्मण भोज एवं भंडारा करने का निश्चय किया , ब्राह्मणों को बुलाया गया पंगत बैठी ब्रह्म भोज आरम्भ हुआ ,सभी ब्राह्मणों ने भोजन किया पर एक ब्राह्मण ने भोजन नहीं किया तारा चन्द के कारण पूछने पर उन्होंने महन्त जी से मिलने ओर उनके हाथ से भोजन करने की इच्छा जाहिर की ( क्योंकि भगवान विरह की वेदना में जल रहे अपने उस भक्त के दर्शन किये बिना भोजन कैसे कर सकते थे ) ब्राह्मण रूप धारी हनुमान को महन्त जी के पास ले जाया गया ,अपने भक्त की ये हालत देखकर लीलाधारी प्रभु श्री हनुमान जी की अश्रु धारा बह चली प्रभु जी ने ,महंत जी को स्पर्श कर आवाज़ लगायी तो चेतना लोटी और बोले कौन , तो प्रभु ने जवाब दिया जिसे तुमने बीरा कह कर प्रथम बार आवाज लगायी थी । धीरे धीरे से आधी आँख खुली और दर्शन रस धारा बह चली कांपते हाथों ने नमस्कार की मुद्रा ली और कांपते होठों से आवाज निकली," जय बीरा जी ",प्रभु ने आशिर्वाद दिया । भक्त और भगवान की आँखों ही आँखों में बात हुई कि जब ब्राह्मण रूप धरकर सुग्रीव को श्री राम जी से मिलवाया, ये रूप धर कर विभीषण जी को प्रभु जी के चरणों में लगाया और ये ही रूप धर कर श्री भरत जी को प्रभु मिलन का संदेश सुनाया अब तुम भी छोड़ जगत को चलो प्रभु चरणन में । ब्राह्मण रूप धरने का कर्ज चुकाना पढ़ता है। तेरे जैसे भक्तों को भगवान से मिलना पड़ता है। ये कहकर ब्राह्मण रूप धारी श्री हनुमान जी अंतर ध्यान हो गए । और स्थूल शरीर का त्याग कर महंत जी सूक्ष्म शरीर से प्रभु श्री राम जी के चरणों में विलीन हो गए । भक्त वत्सल भगवान की जय गुरुदेव भगवान की जय श्री बीरा जी महाराज की जय 🌹आपका सुखद भविष्य मेरा लक्ष्य🌹 नन्द किशोर कौशल (पानीपत)8168038822 💐💐जय जय सीता राम , जय जय हनुमान💐💐
 
इस उपनाम वाले उल्लेखनीय लोगों की सूची जिनका इस जाति से सम्बद्ध हो भी सकता और नहीं भी, निम्नलिखित है:-
उपनाम वाले उल्लेखनीय लोग
इन्हें भी देखें
संवाद
Last edited 3 hours ago by Nand kishor kaushal
विकिपीडिया
सामग्री CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो।
गोपनीयताडेस्कटॉप[खत्री]] गोत्र/उपजाति है। इसका प्रयोग उपनाम के रूप में होता है। इस उपनाम वाले उल्लेखनीय लोगों की सूची जिनका इस जाति से सम्बद्ध हो भी सकता और नहीं भी, निम्नलिखित है:-
 
* [[सीमा मल्होत्रा]], ब्रिटेन की राजनीतिज्ञ