"जैसलमेर दुर्ग": अवतरणों में अंतर

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दुर्ग के तीसरे दरवाजे के गणेश पोल व चौथे दरवाजे को रंगपोल के नाम से जाना जाता है। सभी दरवाजे रावल भीम द्वारा पुनः निर्मित है। सूरज पोल की तरु बढ़ने पर हमें रणछो मंदिर मिलता है, जिसका निर्माण १७६१ ई. में महारावल अखैसिंह की माता द्वारा करावाया गया था। सूरज-पोल द्वारा का निर्माण महारावल भीम के द्वारा करवाया गया है। इस दरवाजे के मेहराबनुमा तोरण के ऊपर में सूर्य की आकृति बनी हुई है।
 
दुर्ग में विभिन्न राजाओं द्वारा निर्मित कई महल, मंदिर व अन्य विभिन्न उपयोग में आने वाले भवन हुए हैं। जैसलमेर दुर्ग में ७०० के करीब पक्के{{•}} पत्थरों[[हजूरी समाज]] व {{•}} [[ब्राह्मण समाज]] के मकानपीले बनेपत्थरों से निर्मित मकान हैं, जो तीन मंजिलें तक हैं। इन मकानों के सामने के भाग में सुंदर नक्काशी युक्त झरोखें व खिड़कियां हैं।
दुर्ग की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए [[भाटी]] शासकों ने इस दुर्ग के चारो ओर एक दीवार का निर्माण करवाया और चारो दिशाओं में अग्रलिखित चार प्रोल {{•}} [[अमरसागर]] प्रोल {{•}} [[गड़ीसर]] प्रोल {{•}} [[किशनघाट]] प्रोल{{•}} [[मलका]] प्रोल
बनवाई जो कि आज भी शहर को बाहरी क्षेत्रों से जोडने का कार्य करती है।
 
== महल ==