"शनि (ज्योतिष)": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति 261:
:कोणस्थः पिंङ्गलो बभ्रुः कृष्णो रोद्रोऽन्तको यमः।
:सोरिः शनैश्चरो मन्दः पिप्लादेन संस्तुतः।।
:एतानि
:शनैश्चरकृता पीड़ा न कदाचिद् भविष्यति।।
;।। इति श्रीदशरथकृत शनैश्चरस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।
== शनि चालीसा ==
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