"ऊर्जा दक्षता ब्यूरो": अवतरणों में अंतर

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इस कार्यक्रम के तहत इनके द्वारा [[ऊर्जा]] की खपत करने की दृष्टि से इन्हें स्टार रेटिंग प्रदान करने की परिकल्पना की गई है। आरम्भ में इस कार्यक्रम को स्वैच्छिक आधार पर शुरू किया गया है जो 31 दिसम्बर, 2020 तक मान्य रहेगा। बीईई ने इस पहल के तहत आसान एवं त्वरित मंज़ूरी के लिये एक ऑनलाइन पंजीकरण प्लेटफॉर्म विकसित किया है। चिलर उपकरण की उपयुक्त स्टार रेटिंग से लाभ उठाने के लिये निर्माता ऑनलाइन पंजीकरण करा सकते हैं।
नामित एजेंसियों से प्राप्त परीक्षण प्रमाण-पत्र के साथ-साथ बीईई की ओर से निर्धारित सत्यापन हो जाने के बाद स्टार लेबल प्रदान किया जाता है जो 1 से लेकर 5 तक की संख्या है। '5 स्टार' प्राप्त करने वाले उपकरण को सबसे कम ऊर्जा खपत वाला (सबसे दक्ष) चिलर माना जाएगा।
 
 
 
 
== 1 अगस्त, 2018 को ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) और ऊर्जा दक्षता अर्थव्यवस्था हेतु गठबंधन (AEEE) द्वारा ‘राज्य ऊर्जा दक्षता तैयारी सूचकांक, 2018’ जारी किया गया।
सूचकांक में विभिन्न क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता सुधार के उद्देश्य से लागू राज्यों की नीतियों एवं कार्यान्वयन का मूल्यांकन किया गया है।
राष्ट्रव्यापी यह सूचकांक नीति आयोग और ऊर्जा दक्षता ब्यूरो का संयुक्त प्रयास है।
सूचकांक में 5 क्षेत्रों, नामतः भवन, उद्योग, नगरपालिका, परिवहन, कृषि एवं वितरण कंपनियों, में ऊर्जा क्षमता पहलों, कार्यक्रमों और परिणामों का आकलन करने के लिए 63 गुणात्मक, मात्रात्मक और परिणाम आधारित संकेतक शामिल किए गए हैं।
यह राज्य ऊर्जा दक्षता तैयारी सूचकांक का पहला संस्करण है।
सूचकांक में राज्यों को ऊर्जा दक्षता कार्यान्वयन की दिशा में उनके प्रयासों एवं उपलब्धियों के आधार पर चार श्रेणियों, यथा-फ्रंट रनर, अचीवर, कंटेंडर एवं एस्पिरेंट में विभाजित किया गया है।
सूचकांक में 60 से अधिक अंक पाने वाले राज्यों को फ्रंट रनर, 50-60 तक अंक पाने वाले राज्यों को अचीवर, 30-49 तक अंक पाने वाले राज्यों को कंटेंडर और 30 से कम अंक पाने वाले राज्यों को एस्पिरेंट श्रेणी में विभाजित किया गया है।
सूचकांक में आंध्र प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, पंजाब एवं राजस्थान को ‘फ्रंट रनर’ श्रेणी में शामिल किया गया है।
सूचकांक में केरल कुल 77 अंकों के साथ राज्यों एवं संघ राज्यक्षेत्रों में पहले स्थान पर है।
सूचकांक में राजस्थान (68) और आंध्र प्रदेश (66.5) को क्रमशः दूसरा एवं तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है।
 
 
==राज्य ऊर्जा दक्षता तत्परता सूचकांक, 2018==
जलवायु परिवर्तन से संबंधित प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए ऊर्जा दक्षता ब्यूरो तथा [[ऊर्जा दक्ष अर्थव्यवस्था हेतु गठबंधन]] (AEEE) ने मिलकर 1 अगस्त, 2018 को भारत का पहला 'राज्य ऊर्जा दक्षता तैयारी सूचकांक' (State Energy Efficeiency Preparedness Index / SEEPI) जारी किया। यह सूचकांक देश के सभी राज्यों में ऊर्जा उत्सर्जन के प्रबंधन में होने वाली प्रगति की निगरानी करने, इस दिशा में राज्यों के बीच प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करने और कार्यक्रम कार्यान्वयन में सहायता प्रदान करेगा। ऊर्जा दक्षता सूचकांक इमारतों, उद्योगों, नगरपालिकाओं, परिवहन, कृषि और बिजली वितरण कंपनियों जैसे क्षेत्रों के 63 संकेतकों पर आधारित है।
 
ये संकेतक नीति और विनियमन, वित्तपोषण तंत्र, संस्थागत क्षमता, ऊर्जा दक्षता उपायों को अपनाने और ऊर्जा बचत प्राप्त करने जैसे मानकों पर आधारित हैं। बीईई के अनुसार, ऊर्जा दक्षता प्राप्त करके भारत 500 बिलियन यूनिट ऊर्जा की बचत कर सकता है और 2030 तक 100 गीगावाट बिजली क्षमता की आवश्यकता को कम कर सकती है। इससे कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में लगभग 557 मिलियन टन की कमी हो सकती है। इसके अन्य मापकों में विद्युत वाहनों (EVs) के माध्यम से भारत के विकास की गतिशीलता को फिर से परिभाषित करना तथा विद्युत उपकरणों, मोटरों, कृषि पम्पों तथा ट्रैक्टरों और यहां तक कि भवनों की ऊर्जा दक्षता में सुधार लाना शामिल है।
 
;प्रमुख बिंदु
*(१) राज्यों को पांच क्षेत्रकों यथा- भवन, उद्योग, नगर निगम, परिवहन, कृषि व डिस्कॉम में 63 संकेतकों (पैरामीटर्स) पर मापा गया है।
 
*(२) राज्यों को उनके प्रदर्शन के आधार पर चार श्रेणियों में बांटा गया है : अग्रगामी (फ्रंट रनर), लब्धकर्ता (एचीवर), प्रतिस्पर्धी (कंटेंडर) व आकांक्षी (ऐस्पिरैंट)।
 
*(३) 60 से अधिक अंक प्राप्त करने वाले राज्यों को 'अग्रगामी' श्रेणी में रखा गया है। इस श्रेणी में [[आंध्र प्रदेश]], [[केरल]], [[पंजाब]], [[राजस्थान]] एवं [[महाराष्ट्र]] हैं।
*(४) [[उत्तर प्रदेश]], 'प्रतिस्पर्धी' की श्रेणी में है जबकि [[बिहार]] 'आकांक्षी' की श्रेणी में है।
 
==सन्दर्भ==
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==इन्हें भी देखें==
*[[ऊर्जा]]
*[[ऊर्जा दक्षता]]
*[[दक्षता]]
*[[भारत में ऊर्जा]]