"रसखान": अवतरणों में अंतर
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[[File:Tomb of Raskhan at Mahaban.jpg|thumb|300px|महाकवि
[[File:महाकवि रसखान की महाबन (जिला मथुरा) में स्थित समाधि (2).jpg|thumb|300px|समाधि]]
[[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]] ने जिन मुस्लिम हरिभक्तों के लिये कहा था, "इन मुसलमान हरिजनन पर कोटिन हिन्दू वारिए" उनमें
== परिचय ==
रसखान के अनुसार गदर के कारण [[दिल्ली]] श्मशान बन चुकी थी, तब दिल्ली छोड़कर वह [[ब्रज]] ([[मथुरा]]) चले गए। ऐतिहासिक साक्ष्य के आधार पर पता चलता है कि उपर्युक्त गदर सन् 1613 ई. में हुआ था। उनकी बात से ऐसा प्रतीत होता है कि वह उस समय वयस्क हो चुके थे।
==काव्य रचना==
:'' मानुष हों तो वही
:''जो पसु हौं तौ कहा बसु मेरौ, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन।।
:''पाहन हौं तौ वही गिरि कौ जुधर्यौ कर छत्र पुरंदर कारन।
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== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%96%E0%A4%BE%E0%A4%A8
*[https://books.google.co.in/books?id=4tBUBQAAQBAJ&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false
* [http://vle.du.ac.in/mod/book/print.php?id=12535&chapterid=26276 कृष्ण भक्ति शाखा के प्रमुख कवि]
* [http://ranchiexpress.com/मुस्लिम-रचनाकार-और-श्रीक/ मुस्लिम रचनाकार और श्रीकृष्ण ] (राँची एक्सप्रेस)
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