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|accessmonthday=[[१ फरवरी]]|accessyear=[[२००८]]|format= पीएचपी|publisher= जैनजगत.ऑर्ग|language=अंग्रेज़ी}}</ref> , [[श्री अचलगढ़ तीर्थ|भगवान शांतिनाथ का मंदिर]]<ref>{{cite web |url=http://www.pilgrimage-india.com/jain-pilgrimage/jain-tirth-yatra.html| title=Jain Tirth Yatra
|accessmonthday=[[१ फरवरी]]|accessyear=[[२००८]]|format= एचटीएमएल|publisher=पिलग्रिमेजइंडिया.कॉम|language=अंग्रेज़ी}}</ref> तथा श्री [[तलज तीर्थ]]<ref>{{cite web |url=http://www.jainjagat.com/viewtemple.php/Tirthankars/Pushpadanta(Suvidhinatha)/29| title=Shri Talaja Teerth|accessmonthday=[[१ फरवरी]]|accessyear=[[२००८]]|format= पीएचपी|publisher= जैनजगत.कॉम|language=अंग्रेज़ी}}</ref> प्रसिद्ध है।
 
 
यही नहीं हथकरघा तथा अन्य हस्तकलाओं का भी कुमारपाल ने बहुत सम्मान और विकास किया। कुमारपाल के प्रयत्नों से पाटण पटोला (रेशम से बुना हुआ विशेष कपड़ा तथा साड़ियाँ) का सबसे बड़ा केंद्र बना और यह कपड़ा विश्व भर में अपनी रंगीन सुंदरता के कारण जाना गया।<ref>{{cite web |url=http://www.nif.org.in/patan|title=Adding life to a centuries’ old dyeing art-Patan|accessmonthday=[[१ फरवरी]]|accessyear=[[२००८]]|format=|publisher= निफ़.ऑर्ग.इन.|language=अंग्रेज़ी}}</ref> अनेक प्रसिद्ध ग्रंथ लिखे गए और गुजरात जैन धर्म, शिक्षा और संस्कृति का प्रमुक केंद्र बन गया।<ref>{{cite web |url=http://www.jaintirths.com/general/jainpatrons.htm|title=Jain Tirths
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|accessmonthday=[[१ फरवरी]]|accessyear=[[२००८]]|format=|publisher=भावना शाह|language=अंग्रेज़ी}}</ref>
 
कुमारपाल चरित संग्रह<ref>{{cite web |url=http://www.jainlibrary.org/jlib/Kumarpal_Charitrasamgraha.pdf|title=कुमारपाल चरित संग्रह|accessmonthday=[[१ फरवरी]]|accessyear=[[२००८]]|format= पीडीएफ़|publisher= जैनलाइब्रेरी.ऑर्ग|language=}}</ref> नामक ग्रंथ में लिखा गया है कि वह अद्वितीय विजेता और वीर राजा था। उनकी आज्ञा उत्तर में तुर्कस्थान, पूर्वमें गंगा नदी, दक्षिणमें विंद्याचल और पर्श्विम में समुद्र पर्यत के देशों तक थी। राजस्थान इतिहास के लेखक कर्नल टॉड ने लिखा है महाराजा की आज्ञा पृथ्वी के सब राजाओंने अपने मस्तक पर चढाई। (वेस्टर्न इण्डिया - टॉड) वह [[जैन धर्म]] के प्रसिद्ध [[आचार्य हेमचंद्र]] का शिष्य था<ref>{{cite web |url=http://www.jainworld.com/education/juniors/junles23.htm |title= ACHARYA HEMACHANDRA|accessmonthday=[[१ फरवरी]]|accessyear=[[२००८]]|format= एचटीएम|publisher=जैनवर्लड.कॉम|language=अंग्रेज़ी}}</ref> जैन धर्म के प्रति गहरी आस्था रखता था और वह जीवों के प्रति दयालु और सत्यवादी था। इस परंपरा के अनुसार उसने अपनी धर्मपत्नी महारानी मोपलदेवीकी मृत्यु के बाद आजन्म ब्रह्मचर्य व्रत पालन किया तथा जीवन में कभी भी मद्यपान अथवा मांसका भक्षण नहीं किया।किया।मृत्यु के समय उनकी आयु ८० वर्ष की थी।
 
कुमारपाल चरित संग्रह<ref>{{cite web |url=http://www.jainlibrary.org/jlib/Kumarpal_Charitrasamgraha.pdf|title=कुमारपाल चरित संग्रह|accessmonthday=[[१ फरवरी]]|accessyear=[[२००८]]|format= पीडीएफ़|publisher= जैनलाइब्रेरी.ऑर्ग|language=}}</ref> नामक ग्रंथ में लिखा गया है कि वह अद्वितीय विजेता और वीर राजा था। उनकी आज्ञा उत्तर में तुर्कस्थान, पूर्वमें गंगा नदी, दक्षिणमें विंद्याचल और पर्श्विम में समुद्र पर्यत के देशों तक थी। राजस्थान इतिहास के लेखक कर्नल टॉड ने लिखा है महाराजा की आज्ञा पृथ्वी के सब राजाओंने अपने मस्तक पर चढाई। (वेस्टर्न इण्डिया - टॉड) वह [[जैन धर्म]] के प्रसिद्ध [[आचार्य हेमचंद्र]] का शिष्य था<ref>{{cite web |url=http://www.jainworld.com/education/juniors/junles23.htm |title= ACHARYA HEMACHANDRA|accessmonthday=[[१ फरवरी]]|accessyear=[[२००८]]|format= एचटीएम|publisher=जैनवर्लड.कॉम|language=अंग्रेज़ी}}</ref> जैन धर्म के प्रति गहरी आस्था रखता था और वह जीवों के प्रति दयालु और सत्यवादी था। इस परंपरा के अनुसार उसने अपनी धर्मपत्नी महारानी मोपलदेवीकी मृत्यु के बाद आजन्म ब्रह्मचर्य व्रत पालन किया तथा जीवन में कभी भी मद्यपान अथवा मांसका भक्षण नहीं किया।
 
मृत्यु के समय उनकी आयु ८० वर्ष की थी।
{{पाल राजवंश के शासक}}
 
==संदर्भ==
<references/>
 
[[श्रेणी:पाल राजवंश]]
[[श्रेणी:कुमारपाल]]