"कल्प (वेदांग)": अवतरणों में अंतर

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'''कल्प''' [[वेद]] के छह अंगों (वेदांगों) में एक है जो कर्मकाण्डों का विवरण देता है। अन्य [[वेदांग]] हैं- [[शिक्षा]] (प्रातिशाख्यादि), [[व्याकरण]], [[निरुक्त]], [[छंदशास्त्र]] और [[ज्योतिष]]। अनेक वैदिक ऐतिहासिकों के मत से कल्पग्रंथ या कल्पसूत्र षट् वेदांगों में प्राचीनतम और [[वैदिक साहित्य]] के अधिक निकट हैं। षट् वेदांगों में कल्प का विशिष्ट महत्व है - क्योंकि जन्म, उपनयन, विवाह, अंत्येष्टि और यज्ञ जैसे विषय इसमें विहित हैं।
 
'''कल्प''' [[वेद]] के छह अंगों (वेदांगों) में एक है जो कर्मकाण्डों का विवरण देता है। अन्य [[वेदांग]] हैं- [[शिक्षा]] (प्रातिशाख्यादि), [[व्याकरण]], [[निरुक्त]], [[छंदशास्त्र]] और [[ज्योतिष]]। अनेक वैदिक ऐतिहासिकों के मत से कल्पग्रंथ या कल्पसूत्र षट् वेदांगों में प्राचीनतम और [[वैदिक साहित्य]] के अधिक निकट हैं। षट् वेदांगों में कल्प का विशिष्ट महत्व है - क्योंकि जन्म, उपनयन, विवाह, अंत्येष्टि और यज्ञ जैसे विषय इसमें विहित हैं।
 
== परिचय ==