"वीर": अवतरणों में अंतर

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विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के संयोग से पूर्णतया को प्राप्त होने वाले उत्साह नामक स्थायी से वीर रस की निष्पति होती हैं।
Tankar bhala yu bol utha
उदाहरण-:मै सत्य कहता हूं सके सके! सुकुमार मत मानो मुझे।
Rana! Mujhko tanik vishram Na de
यमराज से भी युद्ध में प्रस्तुत सदा मानो मुझे।
Mujhko hai vairi se hridaya kshobh
है और की बात ही क्या गर्व मै करता नहीं।
Tu tanik mujhe Aram na de
मामा तथा निज तात से समर में डरता नहीं
By Anmol Dwivedi
"https://hi.wikipedia.org/wiki/वीर" से प्राप्त