"सोवियत संघ": अवतरणों में अंतर

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स्टालिन के शासन में तानाशाहि का कठोर एवं उग्र रूप दिखाई पड़ा जिसके तहत साम्यवाद विरोधियों का दमन किया गया और नागरिक स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया लोगों के आवागमन समाचार पत्रों एवं लेखकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया इस तरह सोवियत संघ की पहचान जनतंत्र का आनंद करने वाले शासक के रूप में हुई शासन प्रणाली ने लोक भावना पर आवरण डाल दिया इतना ही नहीं साम्यवादी शासन की स्थापना के समय यह कहा गया कि सर्वहारा की तानाशाही स्थापित होगी किंतु व्यवहारिक स्तर पर सर्वहारा पर तानाशाही स्थापित हुई सोवियत संघ ने एक दल और सरकार में बैठे लोगों की तानाशाही स्थापित हुई दाल और सरकार में कोई अंतर नहीं रह गया दल एवं शासन प्रणाली जनसमर्थन खोने लगा
स्टालिन के शासनकाल में स्थापित कठोर तंत्र साम्यवादी शासन की कमजोरियों को उद्घाटित करने लगा वस्तुतः पूर्वी यूरोपीय देशों में जहां साम्यवादी शासन मौजूद था वहां पर भी जनता अपने राजनीतिक आर्थिक संरचना से असंतुष्ट थी और जब सोवियत संघ में साम्यवादी शासन की कठोरता के प्रति विरोध बढ़ने लगा तो पूर्वी यूरोप के देशों में भी साम्यवादी शासन के प्रति अविश्वास बढ़ने लगा और जन विद्रोह हुआ
सोवियत संघ की आर्थिक कमजोरी भी उसके भी बटन का कारण बनी वस्तु दयनीय वह बढ़ने कमजोर देशों को आर्थिक सहायता देने एवं शीत युद्ध में शक्ति प्रदर्शन के कारण सोवियत संघ की आर्थिक दिशा कमजोर हो गई दरअसल आधारभूत ढांचे के विकास नवीनीकरण के स्थान पर सोवियत धनराशि शीत युद्ध के साधनों पर खर्च की जाने लगी आता 1980 तक आते-आते इसकी आर्थिक वृद्धि दर में भारी गिरावट आई प्रतिस्पर्धा रहित आर्थिक संरचना के कारण उत्पादन में कमी उपभोक्ता वस्तुओं का अभाव मूल्य वृद्धि जैसी समस्याएं बड़ी पलटा जो संतोष बढ़ने लगा इसी दौर में gurvyachavनेगोरबाचेफ ने शासन संभाला और सुधारवादी नीतियों की घोषणा की जिसका परिणाम सोवियत संघ के विघटन के रूप में सामने आया
 
=== विघटन===