"कत्यूरी राजवंश": अवतरणों में अंतर

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==[[कार्तिकेय (मोहन्याल)]] देवताका जन्मका कथा<ref name= " पूर्ववत कत्युरी वंशज लालबहादुर बम रजवार "> डोटी बोगटानके कत्युरी वंशजके राजपुतोके कुलदेवता स्वामी कार्तिकेय (मोहन्याल)का इतिहास मंगल फाग किवदन्ती ,धामी व रजवार लोगोका मान्यता वर्णन पार आधारित </ref> ==
प्राचीन कालमे कुमाऊ गडवालका केदार नाथ के वीर्य से कर्तिकेयका जन्म हुवा था । केदारनाथ जोशीमठ के ज्योतिष से आफ्ना पुत्रका जन्मकुण्डली जान्नेको लिय छैटौ दिन्मे जोशी मठका ज्योतिष कहा गए थे । जोशीमठ के ज्योतिष ने केदारनाथ का पुत्रका जन्मकुण्डली शास्त्र अनुसार देखनेका बाद इस बालक ने बहुत शक्ति ले कर केदारनाथ का मूल जन्म लिया है कहिके केदारनाथ को बताया । केदारनाथ का साथ मे रहनेसे धोका होना बात बि ज्योतिष ने केदार नाथ को बतानेका बाद केदार नाथ ने समाधानका बिकल्प अनुसार तामा का ढोल के अन्दर बन्द करके वहाका मन्दाकिनी नदी मे बगा दिया । पिछे अयोध्याका सूर्यवंशी ([[रघुवंशी]]) राजाका सवार [[मन्दाकिनी नदी]]के पाससे हो रही थि ।नदीके बीच बीच कार्तिकेय को बन्द करा वाला ढोल बगके आयेतो राजाने गोडिया को बोले इसपर जाल हान तब गोडिया जाल फेकी तो तामाका ढोल का अन्दर सुन्दर बालक देखि तो राजाने अपना राजसिहासन (पालकी ) से उतरकर उस बालकको समाया नदी के बाहार लाया । विश्वामित्र से पूजा कराय पहेंलो वर्णके सुन्दर बालक को [[केदारनाथ]] ([[शिव]]) पार्वती ने बैजन्ति माला पहिराई तो बालक बोल्ने लागे । राजाने उसको अपना कुलदेवता मानकर कार्तिकेयपुरी राज्यमे लाया इसी देवाताके नाममे कर्तिकेयापुरी राज्य चलाया । कार्तिकेयपुरी राज्य का राजधानी धोस्त हुनेका बाद बैशाख शुक्ल मोहनी एकादशी के दिन १३औ शतब्दी मे कार्तिकेयपुरी से डोटी बोगटान लानेका कारण कार्तिकेयका नाम मोहनी एकादशी के नामसे मोहन्याल हो गया । जाल हाने वाला गोडियाको तामाका ढोल देदिया तो उस दिनसे गोडिया ढोल बजान लग्यो तो उसका जात ढोल बजाके ढोली भयो । यी मोहन्याल देवताने डोटी से खपरे (तरकासुर/ [[तारकासुर]] दैत्य ) दैत्यको मारा था । खपरे जुम्ला दुल्लुके राजा क्रच्ल्लका कुलदेवता था । क्रचाल्ल ,अशोक चल्ल(मल्ल) का वंशज डोटी के रैका राजा मल्ल/शाही है । यिनका देवता कार्तिकेय नहि है । ए लोग मस्टो , निमौने (डाडे मस्टो /ताड़कासूर) को कुलदेवता मान्ने वाला जुम्ला,दुल्लुके राजाका वंशज है । [[तारकासुर]] ताड़कासूर, ताडकेश्वर, ताडेश्वर का अपभ्रंश से हि रैका राजाका कुलदेवता का नाम तेडी होना का मान्यता है । डोटी रैका मल्ल/शाही राजाका देवता ६४ बोका (बकरा ) का घाँटी दांत से कट्ता है । कत्युरी राजाका वंशज डोटी के बोगटान मे रहते है । यी [[बम]] , रजवार, [[बोगटी]] रजवार से पहेचान जाते है । यिनका गोत्र शौनक है , ये रघुवंशी कत्युरी राजाका वंशज है ।
 
==कार्तिकेयपुरी राज्य अन्तका कारण==