"चोल राजवंश": अवतरणों में अंतर
[अनिरीक्षित अवतरण] | [अनिरीक्षित अवतरण] |
Content deleted Content added
14.139.41.142 (वार्ता) द्वारा किए बदलाव 4153812 को पूर्ववत किया टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना |
|||
पंक्ति 69:
चोल वंश का अंतिम राजा '''राजेंद्र तृतीय''' (1246-1279) हुआ। आरंभ में राजेंद्र को पांड्यों के विरुद्ध आंशिक सफलता मिली, किंतु ऐसा प्रतीत होता है कि तेलुगु-चोड साम्राज्य पर गंडगोपाल तिक्क राजराज तृतीय की नाममात्र की अधीनता में शासन कर रहा था। गणपति काकतीय के [[कांची]] आक्रमण के पश्चात् तिक्क ने उसी की अधीनता स्वीकार की। अंतत: जटावर्मन् सुंदर पांड्य ने उत्तर पर आक्रमण किया और चोलों को पराजित किया। इसके बाद से चोल शासक पांड्यों के अधीन रहे और उनकी यह स्थिति भी 1310 में मलिक काफूर के आक्रमण से समाप्त हो गई। (चोल सम्राट् साधारणतया अपने राज्य का आरंभ अपने यौवराज्याभिषेक से मानते थे और इसीलिए उनके काल के कुछ आरंभिक वर्ष एवं उनके तत्काल पूर्ववर्ती सम्राट् के कुछ अंतिम वर्षों में समानता प्राप्त होती है)।
== शासन व्यवस्था ==
|