"क़ुरआन की आलोचना": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
No edit summary
पंक्ति 1:
क़ुरआन इस्लाम मत की प्रमुख पुस्तक है ।
 
इसमे असंख्य अवैज्ञानिक ,अंधविश्वासी, असहिष्णु,मानवता विरोधी, अनैतिक बाते होने के कारण सम्पूर्ण विश्व इसकी आलोचना करता है ।
== गैर मुस्लिमों के लिए हिंसक ==
कुरान कई स्थानों (कम से कम 149) पर गैरमुस्लिमों के लिए हिंसक आदेश देता है उदाहरनार्थ :
 
* "जब पवित्र महीने बीत जाऐं, तो 'मूर्तिपूजकों को जहाँ-कहीं पाओ कत्ल करो, और गिरफ्तार करोऔर उन्हें घेरो और हर घात की जगह उनकी ताक में बैठो। फिर यदि वे 'तौबा' कर लें 'नमाज' पढने लगे और, जकात दें (इस्लाम कुबूल कर लें) तो उनका मार्ग छोड़ दो। निःसंदेह अल्लाह (हर मुसलमान पर) बड़ा क्षमाशील और दया करने वाला है।<nowiki>''</nowiki> (सूरा. 9, आयत 5)
* <nowiki>''हे 'ईमान' लाने वालो 'मुश्रिक' (मूर्तिपूजक) नापाक हैं।''</nowiki> (9.28)
* <nowiki>''निःसंदेह 'काफिर तुम्हारे खुले दुश्मन हैं।''</nowiki> (4.101)
* <nowiki>''</nowiki>हे 'ईमान' लाने वालों! (मुसलमानों) उन 'काफिरों' से लड़ो जो तुम्हारे आस पास हैं, और चाहिए कि वे तुममें सखती पायें।<nowiki>''</nowiki> (9.123)
* जिन लोगों ने हमारी <nowiki>''आयतों'' का इन्कार किया, उन्हें हम जल्द अग्नि में झोंक देंगे। जब उनकी खालें पक जाएंगी तो हम उन्हें दूसरी खालों से बदल देंगे ताकि वे यातना का रसास्वादन कर लें। निःसन्देह अल्लाह प्रभुत्वशाली तत्वदर्शी हैं''</nowiki> (4.46)
* <nowiki>''अल्लाह 'काफिर' लोगों को मार्ग नहीं दिखाता''</nowiki> (१०.९.३७ पृ. ३७४)
* <nowiki>''फिटकारे हुए, (मुनाफिक) जहां कही पाए जाऐंगे पकड़े जाएंगे और बुरी तरह कत्ल किए जाएंगे।''</nowiki> (33.61)
* 'हे नबी! 'काफिरों' और 'मुनाफिकों' के साथ जिहाद करो, और उन पर सखती करो और उनका ठिकाना 'जहन्नम' है, और बुरी जगह है जहाँ पहुँचे<nowiki>''</nowiki> (66.9)
* <nowiki>''</nowiki>उन (काफिरों) से लड़ों! अल्लाह तुम्हारे हाथों उन्हें यातना देगा, और उन्हें रुसवा करेगा और उनके मुकाबले में तुम्हारी सहायता करेगा, और 'ईमान' वालों लोगों के दिल ठंडे करेगा<nowiki>''</nowiki> (9.14)
 
==कुरान में अवैज्ञानिकता==
देखे कुरान 2/29 –‘वही तो है जिसने तुम्हारे लिये जमीन की सारी चीजे पैदा की , फिर आकाश की ओर रुख किया ,ठीक तौर पर सात आकाश बनाये वह हर चीज को जानता है”
कुरान- आसमान पहले बना या जमीन?
देखे कुरान 2/29 –‘वही तो है जिसने तुम्हारे लिये जमीन की सारी चीजे पैदा की , फिर आकाश की ओर रुख किया ,ठीक तौर पर सात आकाश बनाये वह हर चीज को जानता है”
 
देखे कुरान 41/9-12 –“कहो:” क्या तुम उसका इंकार करते हो जिसने धरती को दो दिनो मे पैदा किया और तुम उसको समकक्ष ठहराते हो ? वह तो सारे संसार का रब है, और उसने उस [धरती] मे उसके उपर पहाड़ जमाये, उसमे बरकत रखी, और उसमे उसकी खुराको को ठीक अंदाजे मे रखा ! मांग करनेवालो के लिये यह सब चार दिन मे हुआ! फिर उसने आकाश की ओर रुख किया जब कि वहां मात्र धुंआ था — और उसने उससे और धरती से कहा और स्वेच्छा के साथ या अनिच्छा के साथ! उन्होने कहा की हम स्वेच्छा के साथ आये!