"आंबेडकरवाद": अवतरणों में अंतर
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बाबा साहब ने जब संविधान का निर्माण किया तो उन्होंने जाति व्यवस्था के आधार पर दलितों का जो शोषण हो रहा हे उस को खत्म करने के संविधान में समानता का अधिकार दिया
==स्वतंत्र्यता== भारतीय संविधान के निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी के द्वारा स्वतंत्रता के संबंध में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 32 के अंतर्गत मानव के मौलिक अधिकारों का उल्लेख किया है जहां भारतीय संविधान में महिला पुरुष को समान माना जाता है वहीं महिला और पुरुष के मध्य समता का भाव रखना जरूरी है क्योंकि देश की आधी आबादी महिला और पुरुष दोनों के संयोजन से मिलकर बनती है जब महिला और पुरुष को स्वतंत्रता का भाव होगा तभी वह अपने जीवन में निष्पक्ष की आगे प्रगतिशील समाज की स्थापना कर सकते हैं भारतीय संविधान में व्यक्ति को जाति मूल लिंग नस्ल एवं भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर किसी भी व्यक्ति विशेष में कोई भी विवाद नहीं होना भारतीय संविधान की एकता और अखंडता को प्रदर्शित करता है लोगों को रोजगार के संबंध में भी भारत में कहीं पर भी अपना रोजगार करने की स्वतंत्रता है साथ ही अशोक पार्क एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है समाचार पत्र प्रकाशित करने की एवं देश के खिलाफ किसी भी प्रकार का गलत आचरण करने वाले व्यक्ति को संविधान द्वारा प्रतिबंधित किया जा सकता है और उसको धर्म को स्वीकार करने की स्वतंत्रता है और समाजवादी नीतियों को लागू करने का भी स्वतंत्रता का भाव है साथ ही वे अपने धर्म अपने रीति रिवाजों को प्रचार-प्रसार करने और अपने शिक्षा के क्षेत्र में विकास करने का अकोट
==भाईचारा==
==अहिंसा==
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