"कच्चे धागे (1999 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

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==कहानी==
आफताब ([[अजय देवगन]]) और धनंजय ([[सैफ अली खान]]) दो सौतेले भाई हैं जो संयोगवश पहली बार मिलते हैं। जिनमें दोनों के अपने-अपने निजी स्वार्थ है; आफताब, राजस्थान-पाकिस्तान की सीमा पर छोटी-मोटी तस्करी करने में माहिर है तो धनंजय शहर में काॅर्पेरेट संस्कृति की आलिशान जीवन बिताता हैं। आफताब अपनी प्रेमिका रुख़साना ([[मनीषा कोईराला]]) के साथ जीवन बिताना चाहता है, लेकिन रुख़साना का परिवार उसके अवैध धंधे में लिप्त होने के कारण यह संबंध नामंजूर करते हैं। धनंजय अपनी गर्लफ्रैंड रागिनी ([[नम्रता शिरोडकर]]) के साथ डेटिंग करता हैं लेकिन अपने पिता की मौत के बाद उसके लिए नई परेशानी लाती हैं। जब दोनों भाईयों का सामना पहली बार होता हैं तो एक-दूसरें के व्यवहार और जीवनशैली में असमानता देख दोनों में तकरार हो जाती हैं।
 
एक रात, आफताब को एक माल लदे ट्रक को चोरी करने के लिए कुछ संदिग्ध लोग मजबूर करते हैं और जल्द ही आफताब से धनंजय को फंसाने को जबरन बाध्य किया जाता हैं, लेकिन कई लोगों के बनाए षड्यंत्रों में दोनों पर देशद्रोह और हत्या जैसे संगीन आरोप लगते हैं, और फिर दोनों को साथ में हथकड़ी लगाए सीमा सुरक्षाकर्मियों, [[सीबीआई]] और सीमावर्ती माफियाओं से खुद की जानuजान बचाने के लिए फरार होना पड़ता हैं। उन्हें कभी अपने पैरों, मोटरसाइकल, कार, चोरी की ट्रक और मालगाड़ी पर भागना पड़ता हैं, जिसमें आफताब स्टाफ वाली बोगी को मालगाड़ी से अलग करने का भी जोखिम उठाना पड़ता हैं। दोनों अपनी भिन्न परिस्थितियों से छुड़ाने के लिए एक साथ ना चाहते हुए भी भागना पड़ता हैं। अंततः अपनी शुरुआती असमानता की चिढ़ को साथ मुश्किलें झेलते हुए एक-दूसरे को समझने लगते हैं और एक-दूसरे की मदद करते हुए अपने ऊपर लगे आरोपों को मिटाकर खुद को बेगुनाह साबित करते हैं।
 
फिल्म का चरम दृश्य [[कुलधारा]] नाम के जनहीन गांव में शुट किया गया है, जहां कभी ब्राह्मणों की बस्ती थी और आखिर में आफताब और धनंजय को अपने पिता की अस्थियों को जैसलमेर की रेगिस्तान में विसर्जित करते दिखाया जाता है।