"पालिया": अवतरणों में अंतर

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[[File:Samadhi near Rao Lakhaji Chhatri - Closeup look.JPG|thumb|300px|छत्रदी, भुज में, युद्ध में शहीद हुए एक योद्धा की पालिया ऊपरी खंड में सूर्य और चन्द्रमा का प्रतीकात्मक अंकन, मध्य खंड में एक अश्वारोही योद्धा का अंकन तथा, नीचे के शिलालेख में योद्धा का नाम, स्थान और तिथि अंकित है]]
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[[File:Memorial stones aka Paliya of Rao Lakhpatji of Kutch and his queens.jpg|thumb|300px|कच्छ के राव लखपतजी और उनकी रानियों की पालिया। यह समाधी २००१ के भूकंप में क्षत्रग्रस्त हो गयी थी]]
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| header = <big>पालिया</big><br><small>सिंध और गुजरात में प्रचलित मध्यकालीन विशिष्ठ स्मारकीय शिलारचनाएं</small>
| image1 = Memorial stones aka Paliya of Rao Lakhpatji of Kutch and his queens.jpg
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[[File:Memorial | stonescaption1 aka= Paliya of Rao Lakhpatji of Kutch and his queens.jpg|thumb|300px|कच्छ के राव लखपतजी और उनकी रानियों की पालिया। यह समाधी २००१ के भूकंप में क्षत्रग्रस्त हो गयी थी]]
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[[File:Samadhi | nearalt2 Rao= Lakhaji Chhatri - Closeup look.JPG|thumb|300px|छत्रदी, भुज में, युद्ध में शहीद हुए एक योद्धा की पालिया ऊपरी खंड में सूर्य और चन्द्रमा का प्रतीकात्मक अंकन, मध्य खंड में एक अश्वारोही योद्धा का अंकन तथा, नीचे के शिलालेख में योद्धा का नाम, स्थान और तिथि अंकित है]]
| caption2 = छत्रदी, भुज में, युद्ध में शहीद हुए एक योद्धा की पालिया ऊपरी खंड में सूर्य और चन्द्रमा का प्रतीकात्मक अंकन, मध्य खंड में एक अश्वारोही योद्धा का अंकन तथा, नीचे के शिलालेख में योद्धा का नाम, स्थान और तिथि अंकित है
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'''पालिया''' अथवा '''खंभी''' पश्चिमी भारत के कई क्षेत्रों में पाई जाने वाली विशिष्ठ स्मारकीय समाधी संरचना है, जिसे मुख्यतः महान व्यक्तोयों की मृत्यु पर उनके सम्मान व उनके समाधी के तौरपर खड़ा किये जाता था। ये संरचनाएँ अधिकांशतः शिल्पकृति स्तंभ या पत्थरों के रूप में होती हैं, हालाँकि, कई पालियाँ, अधिक सुसम्पन्न रूप में भी हो सकती हैं। पालीयों को पश्चिमी भारत के कई क्षेत्रों में पाया जा सकता है, विशेषतः [[गुजरात]] के [[सौराष्ट्र]] और [[कच्छ]] क्षेत्रों में, एवं [[सिंध]] में भी। इन प्रस्तरकृत संरचनाओं पर विभिन्न चिंन्ह, शैलचित्र एवं शिलालेख पाये जाते है। पालियाँ कई तरह की, और कई आकृतियों की हो सकती है, और ये युद्धवीरों, महान नाविकों, सतियाँ एवं पशुओं को भी समर्पित हो सकते हैं, और अधिकांश ऐसी पालियाँ, प्रचलित लोक कथाओं का विषय भी होती हैं।