"राजा मान सिंह": अवतरणों में अंतर

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== महाराजा मानसिंह और महाराणा प्रताप ==
जब अकबर के सेनापति मानसिंह [[शोलापुर]] [[महाराष्ट्र]] विजय करके लौट रहे थे, तो मानसिंह ने प्रताप से मिलने का विचार किया। प्रताप उस वक़्त कुम्भलगढ़ में थे। अपनी राज्यसीमा मेवाड़ के भीतर से गुजरने पर (किंचित अनिच्छापूर्वक) [[महाराणा प्रताप]] को उनके स्वागत का प्रबंध [[उदयपुर]] के उदयसागर की पाल पर करना पड़ा. स्वागत-सत्कार एवं परस्पर बातचीत के बाद भोजन का समय भी आया। महाराजा मानसिंह भोजन के लिए आये किन्तु महाराणा को न देख कर आश्चर्य में पड़ गये। उन्होंने महाराणा के पुत्र [[अमरसिंह]] से इसका कारण पूछा तो उसने बताया कि 'महाराणा साहब के सिर में दर्द है, अतः वे भोजन पर आपका साथ देने में में असमर्थ हैं।'
 
कुछ इतिहासकारों के अनुसार यही घटना [[हल्दी घाटी]] के युद्ध का कारण भी बनी। [[अकबर]] को राणा[[महाराणा प्रताप]] के इस व्यवहार के कारण [[मेवाड़]] पर आक्रमण करने का एक और मौका मिल गया। सन 1576 ई. में 'महाराणा प्रतापसिंह को दण्ड देने' के अभियान पर नियत हुए।
मुगलों की विशाल सेना टिड्डी दल की तरह मेवाड़ की ओर उमड पड़ी। उसमें मुगल, राजपूत और पठान योद्धाओं के साथ अकबर का जबरदस्त तोपखाना भी था। अकबर के प्रसिद्ध सेनापति महावत खाँखान, आसफ खाँखान और महाराजा मानसिंह के साथ अकबर का शाहजादा सलीम उस मुगल सेना का संचालन कर रहे थे, जिसकी संख्या इतिहासकार ८० हजार से १ लाख तक बताते हैं।
 
== मानसिंह और रक्तरंजित हल्दी घाटी ==