"आंग्लिकाई ऐक्य": अवतरणों में अंतर

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==इतिहास==
[[चित्र:Workshop of Hans Holbein the Younger - Portrait of Henry VIII - Google Art Project.jpg|thumb|right|200px|हेनरी अष्टम, जिनके राजकाल में आंगलिकाई कलीसिया को रोम से अलग एवंद स्वतंत्र रूप में स्थापित किया गया]]
===स्थापना===
[[हेनरी अष्टम]] के राज्यकाल (सन् १५०९-१५५७ ई.) में लूथर ने जर्मनी में [[प्रोटेस्टैंट धर्म]] चलाया। इसके विरोध में हेनरी अष्टम ने १५२१ ई. में एक ग्रंथ लिखा जिसमें उन्होंने रोम के बिशप (पोप) के ईश्वरदत्त अधिकार का प्रतिपादन किया। इसपर हेनरी को रोम की ओर से धर्मरक्षक की उपाधि मिली (यह आज तक इंग्लैंड के राजाओं की उपाधि है)। बाद में पोप ने हेनरी का प्रथम विवाह अमान्य ठहराने तथा इसको दूसरा विवाह कर लेने की अनुमति देने से इंकार किया। इसके परिणामस्वरूप पार्लियामेंट ने हेनरी के अनुरोध से एक अधिनियम स्वीकार किया जिसमें राजा को [[चर्च ऑफ़ इंग्लैंड]] का परमाधिकारी घोषित किया जाता था। (ऐक्ट ऑफ सुप्रिमेसी १५३१-ई.)। इस महत्वपूर्ण परिवर्तन के बाद [[हेनरी अष्टम]] ने जीवन भर प्रोटेस्टैंट विचारों का विरोध कर काथलिक धर्म सिद्धांतों को अक्षुण्ण बनाए रखने का सफल प्रयास किया। [[चर्च ऑफ़ इंग्लैंड | इंग्लैंड के कलीसिया]] का [[यूनाइटेड किंगडम में राज-परमाधिकार | परमाधिकारी]] होने के नाते उसने मठों की संपत्ति अपनाकर उनका उन्मूलन किया।