"आंग्लिकाई ऐक्य": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:AnglicanCommunionProvinces.png|thumb|center|600px|एंग्लिकन ऐक्य के वैश्विक "प्रान्तों" का मानचित्र]]
ऐंग्लिकन धर्म का क्षेत्र [[इंग्लैंड]] तक सीमित नहीं रहा। राजनीतिक प्रभाव के फलस्वरूप वह [[स्काटलैंड]] तथा [[आयरलैंड]] में फैल गया था किंतु संसार भर में इसके व्यापक प्रसार का श्रेय अंग्रेज प्रवासियों तथा मिशनरियों को है। तीन मिशनरी संस्थाएँ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं-सोसाइटी फ़ार प्रोमोटिंग क्रिश्चियन नालेज (जो एस.पी.सी.के. अक्षरों से विख्यात है, सन् १६९८ ई. में संस्थापित)। सोसाइटी फ़ार द प्रोपेगेशन ऑव द गास्पेल (एस.पी.जी.-संस्थापित सन् १७०१ ई.), चर्च मिशनरी सोसाइटी (सी.एम.एस.-संस्थापित सन् १७९९ ई.)। आजकल ऐंग्लिकन समुदाय के निम्नलिखित प्रांत पूर्ण रूप से संगठित हैं-द चर्च ऑव इंग्लैंड (दो प्रांत, कैंटरबरी और यार्क), द चर्च ऑव आयरलैंड, दि एपिस्कोपल चर्च इन स्काटलैंड, द चर्च इन वेल्स (वह सन् १९१४ ई. में कैंटरबरी से अलग हो गया था); द प्रोटेस्टैंट एपिस्कोपल चर्च इन द [[यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका]]; द चर्च ऑव इंडिया, [[पाकिस्तान]], [[बर्मा]] ऐंड सिलोन (सन् १९४७ ई. के बाद लगभग २,५०,००० सदस्य; सन् १९४७ ई. में दक्षिण भारत के प्राय: सभी प्रोटेस्टैंट तथा लगभग ५,००,००० ऐंग्लिकन एक ही संस्था में सम्मिलित हुए, जो चर्च ऑव साउथ इंडिया कहलाती है और ऐंग्लिकन समुदाय से संबद्ध नहीं है); द चर्च ऑव द प्राविंस ऑव साउथ अफ्रीका; द ऐंग्लिकन चर्च ऑव कनाडा; द चर्च ऑव इंग्लैंड इन आस्ट्रेलिया ऐंड तास्मेनिया; द चर्च ऑव द प्राविंस ऑव [[न्यूज़ीलैंड]]; द चर्च ऑव प्राविंस ऑव वेस्ट इंडीज़; द होली काथलिक चर्च इन चाइना; जापान होली काथलिक चर्च; द चर्च ऑव द प्राविंस ऑव वेस्ट अफ्रीका; द चर्च ऑव द प्राविंस ऑव सेंट्रल अफ्रीका; आर्चबिशप्रिक ऑव द मिडल ईस्ट। इसके अतिरिक्त कुछ प्रांत पूर्ण रूप से संगठित नहीं है, वे प्राय: कैंटरबरी से संबद्ध हैं। आजकल संसार भर में लगभग लगभग पाँच करोड़ ईसाई ऐंग्लिकन समुदाय के अनुयायी हैं।