"मुहम्मद इक़बाल": अवतरणों में अंतर

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इक़बाल ने हिन्दोस्तान की आज़ादी से पहले "तराना-ए-हिन्द" लिखा था, जिसके प्रारंभिक बोल- "सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा" कुछ इस तरह से थे। उस समय वो इस सामूहिक देशभक्ति गीत से अविभाजित हिंदुस्तान के लोगों को एक रहने की नसीहत देते थे और और वो इस गीत के कुछ अंश में सभी धर्मों के लोगों को 'हिंदी है हम वतन है' कहकर देशभक्ति और राष्ट्रवाद की प्रेरणा देते है।
 
लेकिन विभाजन के बाद, उनके विचारों में नाटकीय बदलाव आया और उन्होंने इस्लाम के नाम पर इस्लामिक दुनिया का समर्थन किया। उन्होंने दुनिया के सभी मुसलमानों एक होकर आगे बढ़ने की हिदायत दी और राष्ट्रवाद को चुनौती देने की बात भी कही।
 
उन्होंने पाकिस्तान के लिए "तराना-ए-मिली" (मुस्लिम समुदाय के लिए गीत) लिखा, जिसके बोल- "चीन-ओ-अरब हमारा, हिन्दोस्तां हमारा ; मुस्लिम है वतन है, सारा जहाँ हमारा..."