"राजा राममोहन राय": अवतरणों में अंतर

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== कुरीतियों के विरुद्ध संघर्ष ==
राममोहन राय ने [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] की नौकरी छोड़कर अपने आपको राष्ट्र सेवा में झोंक दिया। भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के अलावा वे दोहरी लड़ाई लड़ रहे थे। दूसरी लड़ाई उनकी अपने ही देश के नागरिकों से थी। जो अंधविश्वास और कुरीतियों में जकड़े थे। राजा राममोहन राय ने उन्हें झकझोरने का काम किया। बाल-विवाह, सती प्रथा, जातिवाद masudi, कर्मकांड, पर्दा प्रथा आदि का उन्होंने भरपूर विरोध किया। धर्म प्रचार के क्षेत्र में अलेक्जेंडर डफ्फ ने उनकी काफी सहायता की। [[ देवेंद्र नाथ टैगोर]] उनके सबसे प्रमुख अनुयायी थे।
आधुनिक भारत के निर्माता, सबसे बड़ी सामाजिक - धार्मिक सुधार आंदोलनों के संस्थापक, ब्रह्म समाज, राजा राम मोहन राय सती प्रणाली जैसी सामाजिक बुराइयों के उन्मूलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह भी अंग्रेजी, आधुनिक चिकित्सा प्रौद्योगिकी और विज्ञान के अध्ययन को लोकप्रिय भारतीय समाज में विभिन्न बदलाव की वकालत की। यह कारण है कि वह "मुगल सम्राट 'राजा के रूप में भेजा गया था।<ref>{{cite news |last1=पारीक |first1=मोहित |title=राजा राममोहन राय: मुगलों ने बनाया 'राजा', सती प्रथा के खिलाफ उठाई आवाज |url=https://aajtak.intoday.in/education/story/know-about-rajaram-mohan-roy-on-his-birth-anniveresry-tedu-1-1004527.html |accessdate=7 जून 2018 |publisher=आज तक |date=22 मई 2018}}</ref>raja ram ke london jane k bad bramh samaj ka sanchalan Ramchandra vidhya vagish karte rahe.
 
== पत्रकारिता ==
राजा राममोहन राय ने 'ब्रह्ममैनिकल मैग्ज़ीन', '[[संवाद कौमुदी]]', मिरात-उल-अखबार ,(एकेश्वरवाद का उपहार) [[बंगदूत]] जैसे स्तरीय पत्रों का संपादन-प्रकाशन किया। बंगदूत एक अनोखा पत्र था। इसमें [[बांग्ला]], [[हिन्दी]] और [[फारसी]] भाषा का प्रयोग एक साथ किया जाता था। उनके जुझारू और सशक्त व्यक्तित्व का इस बात से अंदाज लगाया जा सकता है कि सन् 1821 में अँग्रेज जज द्वारा एक भारतीय प्रतापनारायण दास को कोड़े लगाने की सजा दी गई। फलस्वरूप उसकी मृत्यु हो गई। इस बर्बरता के खिलाफ राय ने एक लेख लिखा।
 
== आलोचना ==